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2015 में दुनिया ने कई प्राकृतिक और मानव निर्मित त्रासदियों का सामना किया। नेपाल में भूकंप, चेन्नई में बाढ़, अमेरिका में जंगलों की आग और तूफान, चीन में तियानजिन प्रांत में हुए धमाकों आदि की वजह से हजारों लोगों की जानें गईं। इंसानी जानों के अलावा अरबों रुपए का आर्थिक नुकसान भी हुआ। इंश्यारेंस कंपनी स्विस रे की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में त्रासदियों की वजह से पूरी दुनिया में हुए आर्थिक नुकसान 85 बिलियन डॉलर (536945 करोड़ रुपए से ज्यादा) का आंकड़ा पार कर जाएगा। इनमें से 74 बिलियन डॉलर प्राकृतिक आपदाओं की वजह से जबकि बाकी के 11 बिलियन डॉलर का नुकसान मानवीय कारणों से होने का आकलन किया गया है। हालांकि, 2015 में हुआ 85 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान 2014 (113 बिलियन डॉलर) के मुकाबले कम ही है। 2015 का नुकसान बीते दस सालों में हुए नुकसान के एवरेज 192 बिलियन डॉलर (1212864 करोड़ से ज्यादा) से भी बेहद कम है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में आपदाओं की वजह से 26 हजार लोगों की मौत हुई। मरने वालों की संख्या 2014 के मुकाबले दोगुनी है।
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प्राकृतिक हो या मानव निर्मित, 2015 में त्रासदी की सबसे ज्यादा मार एशिया को झेलनी पड़ी। नेपाल में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप की वजह से जानमाल का सबसे बड़ा नुकसान पहुंचा। वहीं ,12 अगस्त को चीन के तियानजिन प्रांत में हुए धमाके मानव की वजह से हुए सबसे बड़े आर्थिक नुकसान की वजह बने। इस धमाके की वजह से 173 लोगों की जानें गईं और बहुत सारे लोग घायल हो गए। इसके अलावा, गाडि़यों, शिपिंग कंटेनर्स, इमारतों और अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। 2015 में मानव के कारण से हुए हादसों की वजह से 9 बिलियन डॉलर (56853 करोड़ रुपए से ज्यादा) के इंश्योरेंस का नुकसान हुआ। यह आंकड़ा 2017 में 7 बिलियन डॉलर था। फोटो चीन में हुआ धमाके के बाद की है। (AP)
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देखा जाए तो प्राकृतिक आपदाओं ने भी बेहद खामोशी के साथ पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाया। रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल महीने में नेपाल में आए भूकंप की वजह से 9 हजार लोगों की जाने गईं और करीब 5 लाख मकान तबाह हो गए। आकलन के मुताबिक, इसमें 6 बिलियन डॉलर (करीब 38 हजार करोड़ रुपए) का आर्थिक नुकसान हुआ। इसमें से सिर्फ 160 मिलियन डॉलर (1000 करोड़ रुपए से ज्यादा) की संपत्ति का ही इंश्योरेंस था। फोटो नेपाल में आए भूकंप के बाद तबाह हुए मकानों की है। (PHOTO: AP)
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भारतीय इंडस्ट्री से संबंधित संगठन एसोचैम के मुताबिक, नवंबर महीने में चेन्नई में आई बाढ़ की वजह से करीब 2.3 बिलियन डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में खराब मौसम जानमाल के नुकसान की वजह बना। वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, 2015 ऑन रिकॉर्ड सबसे गर्म साल हो सकता है। अत्यधिक तापमान की वजह से इस साल पूरी दुनिया में सूखा, लू और जंगलों में आग लगने जैसी घटनाएं हुईं। फोटो चेन्नई की है, जहां बाढ़ की वजह से काफी वक्त तक जनजीवन अस्तव्यस्त रहा। (PTI Photo)
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स्विस रे रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी और लू की वजह से भारत, पाकिस्तान, यूरोप, नॉर्थ अफ्रीका और मिडल ईस्ट में पांच हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। भारत और पाकिस्तान में मई और जून महीने में 48 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान रिकॉर्ड किया गया जो 1995 के बाद से सबसे ज्यादा है। इस गर्मी की वजह से यहां 3 हजार से ज्यादा लोग मर गए।
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ग्लोबल वॉर्मिंग पूरी दुनिया में जंगलों में आग लगने की वजह बन रहा है। इस बार अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में कई बार आग लगने की घटनाएं हुईं।
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चीन में हुई घटना की तरह ही मध्य प्रदेश के पेटलावद में 12 सितंबर 2015 को एक बड़ा धमाका हुआ। इसमें कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई। पता चला कि एक गैंस सिलिंडर की वजह से फैली आग पास के एक विस्फोटकों के गोदाम तक पहुंच गई, जिसकी वजह से यह बड़ा हादसा हो गया। (SOURCE: REUTERS)
