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ऑपरेशन ब्लूस्टार 1 से 6 जून, 1984 के बीच पंजाब के अकाल तख्त और स्वर्ण मंदिर में चले भारतीय सेना के ऑपरेशन का कोडनेम था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर सेना स्वर्ण मंदिर में छिपे अलगाववादियों को बाहर खदेड़ने के लिए घुसी थी। (EXPRESS ARCHIVE)
अलगाववादियों का नेतृत्व जरनैल सिंह भिंडरावाला कर रहा था, उसपर स्वर्ण मंदिर में हथियार व गोला-बारूद जुटाने का आरोप था। अलगाववादियों के पास राइफल्स, असाल्ट वेपंस और ग्रेनेड जैसे हथियार थे। (EXPRESS ARCHIVE) -
मेजर जनरल कुलदीप सिंह की अगुवाई में भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। (EXPRESS ARCHIVE)
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भारतीय सेना ने टैंक, हेलिकॉप्टर्स और युद्ध के अन्य हथियारों का इस्तेमाल इस ऑपरेशन में किया। (EXPRESS ARCHIVE)
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5 जून, 1984 को भारतीय सेना ने भिंडरावाला और उसके समूह को मंदिर से बाहर निकालने के लिए भयंकर हमला बोला। (EXPRESS ARCHIVE)
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भारतीय सेना और उग्रवादियों के बीच भयंकर गोलीबारी चली। उग्रवादियों ने श्रद्धालुओं को मंदिर के भीतर बंधक बना लिया था। (EXPRESS ARCHIVE)
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इस ऑपरेशन में उग्रवादियों का नेता जरनैल सिंह भिंडरावाला मारा गया। भारतीय सेना के कई जवान भी ऑपरेशन ब्लूस्टार में शहीद हुए थे। (EXPRESS ARCHIVE)
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कुलदीप सिंह की रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन में सेना के 4 अफसर और 132 जवान शहीद हुए थे और 220 जवान घायल हुए। (EXPRESS ARCHIVE)
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ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान नागरिकों की मौत का आधिकारिक आंकड़ा (उग्रवादियों, सिख श्रद्धालुओं व अन्य नागरिकों को मिलाकर) 493 है। हालांकि हताहतों की असल संख्या इससे कहीं ज्यादा बताई जाती है। (EXPRESS ARCHIVE)
ऑपरेशन ब्लूस्टार एक सैन्य ऑपरेशन के तौर पर कामयाब माना जाता है, मगर यह बहुत विवादित ऑपरेशन रहा है। ऑपरेशन ब्लूस्टार का समय और तरीका, दोनों पर ही लम्बे समय तक बहस होती रही है। (EXPRESS ARCHIVE)
