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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (25 जून) को पुणे में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स लॉन्च किया। इसके तहत 'स्मार्ट सिटी चैलेंज कॉम्पिटीशन' के पहले फेज के लिए चुने गए 20 शहरों में इस योजना की शुरुआत कर दी गई। इस योजना में 48 हजार करोड़ का निवेश होगा। हालांकि पूरा खर्च 96 हजार करोड़ रुपये होगा। आधा पैसा राज्य सरकार को देना होगा। आइए जानते हैं क्या है स्मार्ट सिटी और इससे जुड़ी खास बातें: (Photo: PTI)
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स्मार्ट सिटी की सबसे खास बात होगी बाधारहित जीवन। इसमें इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्रमुख आधार होगी यानि इसके जरिए काम में तेजी आएगी और लोगों के जरूरत की चीजें उन्हें आसानी से मिल जाएगी। सरकार का कहना है कि स्मार्ट सिटी में सप्लाई और डिमांड पूरी तरह से मार्केट पर आधारित होगी। इससे जनता, कारोबारी और सरकार सबको फायदा होगा। जानिए कहां से आया स्मार्ट सिटी का कांसेप्ट: स्मार्ट सिटी का कांसेप्ट आर्थिक मंदी के समय सामने आया। 2008 में आईबीएम ने स्मार्टर सिटीज कांसेप्ट पर काम करना शुरू किया। 2009 में कई देशों ने इसे अपना लिया। दक्षिण कोरिया, यूएई और चीन ने इस पर काम शुरू किया और रिसर्च पर काफी पैसा खर्च किया। वर्तमान में वियना, एम्सटर्डम, लियोन,वेरोन और सिओल के पास सोंगदो ऐसे ही शहर हैं। Photo: Reuters)
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देश की पहली नई स्मार्ट सिटी गुजरात में बनाई जा रही है। इसका नाम गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी(गिफ्ट) है। यहां पर 886 एकड़ जमीन पर 110 टावर बनाए जा रहे हैं। यह शहर साबरमती नदी के किनारे बसाया जा रहा है। इस सिटी में डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम से सभी घर एयर कंडीशन युक्त होंगे। पानी की सप्लाई भी इसी तरह से की जाएगी। घरों से कचरा इकट्ठा करने के लिए भी ऑटोमेटिक सुविधा होगी। इस सिटी की अन्य खासियतों में इंटेलिजेंट बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम(आईबीएमएस) , सीसीटीवी कैमरे और सर्विलांस सिस्टम शामिल है। इस शहर में प्रवेश स्मार्ट कार्ड के जरिए ही हो पाएगा। आईबीएमएस के जरिए सभी घरों को लाइटिंग, वेंटीलेशन, और फिल्म की टिकट बुक करने जैसी सुविधा भी मिलेगी। यहां पर इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। साथ ही मेट्रो और बीआरटीएस सुविधा भी होगी। (Express Photo: Javed Raja)
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स्मार्ट सिटीज में वर्ल्ड क्लास ट्रांसपोर्ट सिस्टम, 24 घंटे बिजली-पानी की सप्लाई, सरकारी कामों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम, स्मार्ट एजुकेशन की सुविधाएं होंगी। मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में स्मार्ट सिटी बनाने के लिए घोषणा की गई थी। बजट में 7060 करोड़ रुपए का फंड भी अलॉट किया गया था।
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जनवरी 2016 में सरकार ने स्मार्ट सिटीज के लिए 20 शहरों का एलान किया था। इनमें भुवनेश्वर, पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, नई दिल्ली, अहमदाबाद, जबलपुर, विजाग, सोलापुर, देवनगिरी, इंदोर, कोयम्बटूर, काकीनाडा, बेलगाम, उदयपुर, गुवाहाटी, चेन्नई, लुधियाना और भोपाल को शामिल किया गया। इन पर पांच साल में 50 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
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स्मार्ट सिटी का कांसेप्ट आर्थिक मंदी के समय सामने आया। 2008 में आईबीएम ने स्मार्टर सिटीज कांसेप्ट पर काम करना शुरू किया। 2009 में कई देशों ने इसे अपना लिया। दक्षिण कोरिया, यूएई और चीन ने इस पर काम शुरू किया और रिसर्च पर काफी पैसा खर्च किया। वर्तमान में वियना, एम्सटर्डम, लियोन,वेरोन और सिओल के पास सोंगदो ऐसे ही शहर हैं। Photo: Reuters)
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स्मार्ट सिटी के अलग-अलग पैमाने होते हैं। मार्च 2015 में फॉर्ब्स ने टॉप पांच स्मार्ट शहरों की लिस्ट जारी की थी। इनमें स्पेन का बार्सिलोना टॉप पर था। यह शहर पर्यावरण और पार्किंग के मामले में टॉप पर है। अमेरिका का न्यूयॉर्क स्मार्ट ट्रेफिक मैनेजमेंट, लंदन टेक्नोलॉजी व ओपन डाटा, फ्रांस का नाइस शहर पर्यावरण और सिंगापुर टेक्नोलॉजी के प्रयोग व ट्रेफिेक मैनेजमेंट में अव्वल रहा।
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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र किया था। बाद में जब पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपना पहला भाषण दिया था, तब भी इस योजना का एलान किया गया था। प्रधानमंत्री अपने हर भाषण में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर जोर देते हैं। (Photo: Reuters)