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आम भारतीय जिन नोटों का प्रयोग करते हैं उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) छापता है। बीआरबीएनएमपीएल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक इकाई है। (ग्राफिक्स- सुब्रता धर)
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आरबीआई के पास 19 वितरण कार्यालय, 4,075 करेंसी चेस्ट और 3746 छोटे सिक्कों के डीपो हैं। करेंसी चेस्ट और सिक्के के डीपो का प्रबंधन वाणिज्यिक, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक करते हैं। सबसे अधिक 1965 करेंसी चेस्ट भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पास हैं। (ग्राफिक्स- सुब्रता धर)
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पिछल दो साल में आरबीआई के छापेखाने से मांग से कम नोट छापे गए। साल 2015-16 में 21.2 अरब करेंसी नोट छापे गए जबकि मांग 23.9 अरब नोटों की थी। साल 2014-15 में 23.6 अरब नोट छापे गए थे जबकि मांग 24.2 अरब नोटों की थी।(ग्राफिक्स- सुब्रता धर)
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थी। सुरक्षित रूप से नोट छापने में साल 2015-16 (जुलाई-जून) पर 34.2 अरब रुपये खर्च हुए। साल 2014-15 में इस मद में 37.6 रुपये खर्च हुए। (ग्राफिक्स- सुब्रता धर)
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आरबीआई एक नोट हब बनाने और एक मेगा करेंसी चेस्ट बनाने पर विचार कर रहा है ताकि नोटों का वितरण सुगम बनाया जा सके। आरबीआई ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत एक स्याही उत्पादन इकाई बनाने का भी प्रस्ताव दिया है। (ग्राफिक्स- सुब्रता धर)
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चीन में सातवीं शताब्दी के दौरान तांग वंश में कागज के नोटों का प्रचलन शुरू हुआ था लेकिन कुछ सौ साल बाद वहां कागज के नोटों को चलन बंद हो गया। सत्रहवीं सदी में यूरोप में दोबारा कागज के नोटों को चलन शुरू हुआ जो धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया। (ग्राफिक्स- सुब्रता धर)
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दुनिया की पहली पैसे निकालने वाली मशीन जून, 1967 में बार्कले बैंक ने लंदन में लगायी थी। इसी मशीन के आधुनिक संस्करण को हम ऑटोमैटिक ट्रेलर मशीन (एटीएम) के रूप में जानते हैं। (ग्राफिक्स- सुब्रता धर)
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हर एटीएम में आम तौर पर पैसे रखने के चार-पांच स्लॉट होते हैं जिन्हें कैसेट या कैश मीडिया डिस्पेंसर (सीएमडी) कहते हैं। इन्हीं कैसेट में 100, 500 और 1000 इत्यादि के नोट रखे जाते हैं। (ग्राफिक्स- सुब्रता धर)