-
Gotthard Base Tunnel: जब स्विस इंजीनियर कार्ल एडुअर्ड गू्रनर ने 1947 में एल्प्स पहाड़ियों के नीचे से दुनिया की सबसे लंबी रेल सुरंग बनाने का विचार रखा था तो उनका पूर्वानुमान था कि 21वीं सदी की शुरुआत तक यह दूरदृष्टि वाली परियोजना पूरी हो सकती है। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: गू्रनर के रेखाचित्र और तकनीकी पत्र ‘जर्नी थू्र द गॉटहार्ड बेस टन (जीबीटी) इन द ईयर 2000’ के साथ इस उपक्रम के बीज बोए गए जिस पर यातायात की शुरुआत इस हफ्ते की जाएगी और इसका उद्देश्य यूरोप के बीच से यात्रा को नया रूप प्रदान करना है। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: स्विट्जरलैंड की सरकार के आंकड़ों के अनुसार 57 किलोमीटर लंबी रेल सुरंग के निर्माण में करीब 12 अरब स्विस फ्रेंक्स (करीब 12 अरब डॉलर) लगे और करीब 2400 श्रमिकों ने काम किया। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: गॉटहार्ड दर्रे के पास से पहाड़ों से 2.8 करोड़ टन से अधिक चट्टानी मलबा निकाला गया। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: स्विट्जरलैंड में आप्ल्स में बन रही यह सुंरग 57 किलोमीटर लंबी है। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: पहाड़ों में बाहरी तापमान जहां शून्य से कई डिग्री नीचे रहता है वहीं जमीन के अंदर इंजीनियरों के 40 डिग्री के तामपान पर काम कर रहे हैं। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: इस सुरंग के चालू हो जाने के बाद जर्मनी से इटली जाने वाली ट्रेने इसके भीतर 250 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गुजरेंगी। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: टनल के अंदर काम करते श्रमिक। (फोटो- रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: टनल का निरीक्षण करते अधिकारी। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: सुरंग बनाने में उपग्रहों की मदद ली जा रही है ताकि वह कही कोई गड़बड़ी न हो जाए। (फोटो-रॉयटर्स)
-
Gotthard Base Tunnel: टनल के अंदर काम करते श्रमिक। आगे की स्लाइड्स में देखे सुरंग से जुड़ी और भी तस्वीरें (फोटो- रॉयटर्स)
-
-
-
-