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चुनाव में विरासत बहुत मायने रखता है। विरासत के जरिए ही किसी पार्टी और उससे जुड़े नेता अपनी सियासी अस्तित्व को बनाए रखने की कोशिश करते हैं। यह सच्चाई है कि पारिवारिक विरासत के जरिए राजनीति में आने वाले लोग हर दल में हैं। और तथ्य भी इसी ओर इशारे करते हैं कि ऐसे उम्मीदवारों की जीत की संभावना ज्यादा होती है। 2019 के लोक सभा चुनाव में भी पार्टियां विरासत से निकले युवा चेहरों को टिकट देकर अपनी जीत पक्की करना चाहती हैं। ये चेहरे काफी उच्च शिक्षित हैं। ऐसे ही कुछ चेहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने पिता-दादा की राजनीतिक विरासत संभालते नजर आएंगें-
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डॉ. पूर्वी वर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री बालगोविंद वर्मा व पूर्व सांसद ऊषा देवी वर्मा की पौत्री व सपा के राज्यसभा सांसद रविप्रकाश वर्मा की पुत्री हैं। समाजवादी पार्टी ने पूर्वी को लखीमपुर खीरी से टिकट दिया है। पूर्वी वर्मा ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से मास्टर इन पब्लिक हेल्थ की उपाधि हासिल की है।
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कांग्रेस पार्टी ने न्यूज़ एंकर रही सुप्रिया श्रीनेत को उत्तर प्रदेश के महरागंज से टिकट दिया है। पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत महराजगंज से कांग्रेस के सांसद रहे हर्षवर्धन सिंह की बेटी हैं। हर्षवर्धन दो बार महराजगंज लोकसभा से सांसद रह चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन से इतिहास में पोस्ट ग्रैजुएशन करने वाली सुप्रिया को पिता की विरासत संभालने की जिम्मेदारी है।
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कमलेश कठेरिया को समजावादी पार्टी ने इटावा से टिकट दिया है। कमलेश कठेरिया 2009 में इटावा से सांसद रह चुके प्रेमदास कठेरिया के बेटे हैं। कमलेश इटावा के एसडी इंटर कॉलेज में लिपिक के पद पर कार्यरत हैं।

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की बारबंकी सीट से पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को अपना उम्मीदवार बनाया है। आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद तनुज पर अब चुनावी मैदान में पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होगी। -
जेल में बंद पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री को महाराजगंज सीट से शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने टिकट दिया है। तनुश्री ने अपनी पढ़ाई नैनीताल के सेंट मेरी कॉन्वेंट स्कूल से की है। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चली गईं। लंदन से उन्होंने इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त की है। तनुश्री पर अब पिता की सियासी विरासत आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है।