डीजीपी की नियुक्ति को लेकर फिर चर्चा में हैं 1989 के भागलपुर दंगे, देखिए तस्वीरें
दंगों के समय के.एस. द्विवेदी भागलपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे। इन दंगों में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए। राज्य द्वारा जांच के लिए गठित एक आयोग ने एसपी (द्विवेदी) को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं।
जिस दिन से 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी के.एस. द्विवेदी को बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाने का ऐलान हुआ, उसी दिन से फैसले पर सवाल उठने लगे थे। विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 1989 के भागलपुर दंगों की याद दिलाते हुए द्विवेदी की नियुक्ति को कटघरे में खड़ा किया। दंगों के समय द्विवेदी भागलपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे। इन दंगों में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए। राज्य द्वारा जांच के लिए गठित एक आयोग ने एसपी (द्विवेदी) को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं। द्विवेदी को बाद में हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में क्लीन चिट मिली। उनकी नियुक्ति से भागलपुर दंगे की चर्चा शुरू हुई है, आइए जानते हैं कि तब आखिर हुआ क्या था। (Photos: Express Archive/Manoj Kumar Sinha)अक्टूबर, 1989 के अंत में भागलपुर व आसपास के इलाकों में रामशिला पूजन पर विवाद को लेकर दंगे हुए। इतना भीषण दंगा कि गांव के गांव वीराने में बदल गए। दंगों के गवाह कहते हैं कि यह इतना सुनियोजित था कि खेतों में लाशें गाड़ दी गई थीं। इसके बाद उस पर फूलगोभी बो दी गई। फोटो – इलाके में ऐसी चर्चा आज भी आम है कि लोगाय गांव में लोगों की लाश खेत में दबा कर ऊपर से गोभी उगा दी गई थी। इसी के विरोध में यह नारा लिखा गया था। (Photo: Manoj Kumar Sinha)बम चलने के बाद दंगा शुरू हो गया। मुस्लिम बस्तियों में सरेआम मारकाट, आगजनी व लूट की वारदातें होने लगीं। धारा 144 लगाकर कर्फ्यू का ऐलान कर दिया गया। सेना तक को बुलाया गया मगर हिंसा नहीं रुकी। फोटो: दंगाइयों द्वारा एक बुजुर्ग को मार गिराए जाने के बाद बिलखते उनके परिजन। (Photo: Manoj Kumar Sinha)शहर में शांति बहाली के लिए उस समय के सुपरस्टार सुनील दत्त और शत्रुघ्न सिन्हा कई बार भागलपुर आए। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी आए मगर बहुत से लोग एसपी का तबादला रोकने की मांग को लेकर तिलकामांझी चौराहे पर आए। मजबूरन राजीव गांधी अस्पताल से ही लौट गए। तब उन्होंने कहा था। ”मि. द्विवेदी यहीं रहेंगे।” फोटो: चंदेरी गांव में जलकुंभी से निकाली गईं किशोरी। उसका पैर घातक हथियार से काट कर मरा समझ दंगाईयों ने जलकुंभी में फेंक दिया था। दूसरी तरफ, मल्लिका बेगम और उसके बेटे की तस्वीर। जिस अफसर ने उसे निकाला, उसी ने मल्लिका से शादी कर ली। (Photo: Manoj Kumar Sinha)शहनाज बानो का परिवार इकलौता परिवार है जो भागलपुर दंगों के बाद पारबट्टी से नहीं गया। यहां के दो दर्जन से ज्यादा मुस्लिम परिवार अपने-अपने मकान बेचकर चले गए थे। (Express Photo by Ravi S. Sahani)इन दंगों का बिहार की राजनीति पर व्यापक असर हुआ। तब सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस अब तक वापसी नहीं कर पाई है। इन दंगों ने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार को नई राजनैतिक जमीन दी। फोटो- भागलपुर दंगों के पीड़ित। (Photos: Express Archive)दंगे के दौरान गश्त लगाती सेना की टुकड़ी। हाथ ऊपर करवा एक आदमी से पूछताछ करते हुए मेजर। (Photo: Manoj Kumar Sinha)एक राहत शिविर में भागलपुर दंगों के पीड़ित। (Photos: Express Archive)