-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (4 जून) को अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारत द्वारा तैयार की गई अफगान-भारत मैत्री बांध (सलमा बांध) ढांचागत बांध परियोजना का उद्घाटन किया। छह महीने से भी कम समय में नरेंद्र मोदी की यह अफगानिस्तान की दूसरी यात्रा है। (ट्विटर फोटो)
-
भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध को पश्चिमी हेरात जिले में 1700 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। इसका निर्माण भारत ने अफगानिस्तान के साथ विकास साझेदारी के तहत किया है। (ट्विटर फोटो)
-
चिश्त ए शरीफ नदी के ऊपर बने इस बांध से 75 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा सकेगा और साथ ही 42 मैगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। (ट्विटर फोटो)
-
इस बहु-उद्देश्यीय परियोजना के निर्माण में मुश्किल हालात में कई सालों तक 1,500 से अधिक भारतीय और अफगान इंजीनियरों ने काम किया है। (ट्विटर फोटो)
-
ईरान के पड़ोस में स्थित पश्चिमी हेरात के चिश्त-ए-शरीफ की नदी हरिरुद पर बने इस बांध का निर्माण भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरोद्धार मंत्रालय के तहत आने वाली वैप्कोस लिमिटेड ने किया है। (ट्विटर फोटो)
-
हेरात शहर से 165 किलोमीटर दूर इस बांध के बनने से प्रांत की कृषि अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा। (ट्विटर फोटो)
-
बांध के लिए जो भी कलपुर्जे और सामान की आवश्यकता पड़ी उसे भारत से समुद्री मांग से पहले ईरान के बंदर-ए-अब्बास बंदरगाह तक पहुंचाया गया।
-
सुरक्षा कारणों से इस परियोजना पर काम कर रहे सभी भारतीयों को अफगान सरकार द्वारा प्रदत्त हेलिकॉप्टर से महीने में एक बार इस जगह पर पहुंचना पड़ता था। पहले इसे सलमा बांध के नाम से जाना जाता था। (ट्विटर फोटो)
-
इसके निर्माण में काम आने वाले कई उपकरण भारत से ईरान के जरिए भेजने पड़े क्योंकि यह बांध रणनीतिक तौर पर हेरात बांध पर बनाया गया है जो पश्चिम एशिया, दक्षिण एवं मध्य एशिया के प्राचीन व्यापार मार्ग पर पड़ता है। (ट्विटर फोटो)
-
भारत की अफगानिस्तान के साथ रणनीतिक भागीदारी है और वह देश के बुनियादी ढांच के पुननिर्माण के लिए दो अरब डॉलर की परियोजनाओं पर कार्यान्वयन कर रहा है।
