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सर्दियों का मौसम आते ही होंठ फटना, त्वचा का रुखापन और खिंचाव आम समस्या बन जाती है। हम अक्सर लिप बाम या मॉइस्चराइजर लगाकर राहत पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ये उपाय सिर्फ बाहरी तौर पर असर करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, होंठों का फटना केवल मौसम की समस्या नहीं बल्कि शरीर की आंतरिक स्निग्धता यानी भीतर की नमी और स्नेह के स्तर से जुड़ा संकेत है। (Photo Source: Freepik)
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होंठ फटने का असली कारण
सर्दियों में वातावरण शुष्क होने के कारण शरीर की सूक्ष्म स्निग्धता कम होने लगती है। इसका सीधा असर सबसे पहले होंठों और त्वचा पर दिखता है। जब शरीर में तेल तत्व की कमी होती है, तो होंठ फटने लगते हैं, त्वचा में खिंचाव और रुखापन महसूस होता है। इसलिए समस्या सिर्फ बाहरी नहीं, बल्कि भीतरी असंतुलन से जुड़ी होती है। (Photo Source: Freepik) -
नाभि क्यों है विशेष?
आयुर्वेद में नाभि को जीवन का केंद्र और मर्म स्थल कहा गया है। यह वह बिंदु है जहां से शरीर की कई सूक्ष्म नाड़ियां निकलती हैं। नाभि का सीधा संबंध त्वचा, पाचन तंत्र और स्निग्धता (lubrication) से होता है। इसलिए नाभि पर लगाया गया तेल सिर्फ त्वचा तक नहीं, बल्कि भीतर की नाड़ियों तक अपना असर पहुंचाता है। (Photo Source: Freepik) -
क्यों लगाएं सरसों का तेल?
सरसों का तेल उष्ण और स्निग्ध गुणों से भरपूर होता है। यह शरीर की सूक्ष्म नमी को संतुलित करता है और रूक्षता को कम करता है। जब शीत ऋतु में शरीर का तापमान और स्निग्धता घटती है, तो होंठ सबसे पहले सूखने लगते हैं। (Photo Source: Freepik) -
नाभि पर सरसों का शुद्ध तेल लगाने से त्वचा और होंठों की सूखापन कम होता है। शरीर में प्राकृतिक उष्णता (Natural Heat) बढ़ती है। रक्त संचार बेहतर होता है। होंठों की रंगत स्वाभाविक रूप से गुलाबी और मुलायम रहती है। (Photo Source: Freepik)
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कैसे करें यह उपाय?
रात को सोने से पहले नाभि को साफ कपड़े से पोंछ लें। 3–4 बूंद शुद्ध सरसों का तेल नाभि में हल्के से भरें। चाहें तो होंठों पर भी तेल की हल्की परत लगा सकते हैं। इसे रोजाना 7–10 दिन तक नियमित करें — फर्क खुद महसूस होगा। (Photo Source: Freepik) -
लाभ
होंठों का फटना और सूखापन कम होता है। रंगत और नमी स्वाभाविक रूप से लौट आती है। शरीर में रूक्षता (Roughness), खिंचाव और ठंडापन घटता है। नाड़ी-तंत्र में आराम और हल्कापन महसूस होता है। (Photo Source: Pexels) -
क्यों खास है यह उपाय
यह उपाय सिर्फ बाहरी नहीं, बल्कि शरीर के अंदर की असंतुलित स्थिति को सुधारता है। सरसों का तेल गर्म और तैलीय गुणों से भरपूर होता है, जो शरीर में तेल तत्व को संतुलित रखता है। इसलिए यह न केवल होंठ फटने से बचाता है, बल्कि सर्दियों में आने वाली कई समस्याओं — जैसे पैरों में दरार, त्वचा का सूखना और थकान — से भी राहत देता है। (Photo Source: Unsplash) -
आयुर्वेद का संदेश
जब शरीर में रस, स्नेह और जल तत्व का संतुलन बिगड़ता है, तो सबसे पहले असर होंठों और त्वचा पर दिखाई देता है। इसलिए नाभि पर सरसों का तेल लगाना केवल सौंदर्य उपाय नहीं, बल्कि शरीर के भीतर के असंतुलन को सुधारने का प्राकृतिक तरीका है। (Photo Source: Canva AI)
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