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प्रतापगढ़ (Pratapgadh) स्थित कुडां (Kunda) के भदरी रियासत (Bhadri State) के राजा उदय प्रताप सिंह (Raja Uday Pratap Singh) विश्व हिंदू परिषद के नेता रहे हैं और साथ ही वह हिंदूवादी कट्टर छवि के व्यक्ति माने जाते हैं। पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवा करने वाले राजा उदय के पिता के जमाने में नेहरू परिवार (Nehru Family) से नजदीकी रही थी, लेकिन राजा उदय सिंह की कांग्रेस और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से सबंध अच्छे नहीं रहे थे। यही कारण है कि एक बार राजा उदय ने तत्कालीन पीएम इंदिरा को चुनौती दे डाली थी।
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बता दें कि स्वतंत्रता पूर्व नेहरू गाँधी परिवार और भदरी परिवार के अच्छे ताल्लुकात थे। बजरंग बहादुर सिंह बतौर स्वतंत्रता सेनानी, पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ खड़े रहत थे। राजा बजरंग की पत्नी रानी गिरिजा देवी इंदिरा गाँधी से काफ़ी नजदीक थी।
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जब भदरी की रियासत उदय सिंह के हाथ में आई तो उनके संबंध नेहरू गाँधी परिवार से अपने पिता की तरह बेहतर नहीं रहे। कई वैचारिक मतभेदों के कारण गांधी परिवार से उनके विवाद हुए।
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प्रतापगढ़ में एक समय भदरी रियासत के साथ ही कालाकांकर रियासत भी रही थी। दोनों ही क्षत्रिय वंशीय राजघराने में हमेशा से अदावत रही थी।
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कालाकांकर रियासत के वारिस रहे राजा दिनेश सिंह इंदिरा गांधी के राजनैतिक नजदीकी रही थी और उनकी रियासत पंडित नेहरू के समय से कांग्रेसी रही थी। जबकि राजा उदय प्रताप सिंह विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हुए थे।
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कालाकांकर और भदरी रियासत की आपसी अदावत के कारण राजनैतिक मतभेद भी सामने आ गए थे और इसी क्रम में राजा उदय प्रताप सिंह ने एक बड़ा कदम उठा लिया था।
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राजा भैया के कुंडा की सीमा गांधी परिवार की चुनावी गृहभूमि रहे रायबरेली से भी सटती थी, इस कारण इंदिरा गांधी का कुंडा पर ध्यान बहुत रहता था।
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नेहरू गाँधी परिवार से राजा उदय के ताल्लुकात खराब होते गए और एक दिन इंदिरा गाँधी के शासन में राजा उदय प्रताप सिंह ने अपनी रियासत भदरी को भारत का स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया।
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राजा उदय प्रताप का कुंडा अपना वर्चस्व रहा था और ऐसे में स्थानीय प्रशासन के बस का नहीं था कि वह राजा को नियंत्रित कर सकें।
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ऐसे में तत्कालीन पीएम रही इंदिरा गांधी को मजबूरन कुंडा में सैन्य दल को भेजना पड़ा था।
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