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चाय दुनिया का सबसे लोकप्रिय ड्रिंक है (अगर पानी को छोड़ दें तो)। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाय को पीने का सबसे आसान और आम तरीका — टी बैग — असल में एक संयोगवश हुई खोज थी? आइए जानते हैं इसकी दिलचस्प कहानी…
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थॉमस सुलिवन और संयोग से हुई खोज
साल था 1904। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले एक चाय व्यापारी, थॉमस सुलिवन, ने अपने ग्राहकों को चाय के सैंपल भेजने के लिए रेशमी कपड़े की छोटी थैलियों का इस्तेमाल किया। उनका उद्देश्य था कि चाय की पत्तियां यात्रा के दौरान इधर-उधर न बिखरें। (Photo Source: Pexels) -
सुलिवन चाहते थे कि ग्राहक इस बैग को खोलकर चाय को छलनी में डालें और फिर उसका उपयोग करें। लेकिन हुआ कुछ और ही। ग्राहकों ने बिना बैग खोले ही उसे गर्म पानी में डाल दिया और देखा कि चाय अच्छी तरह से बन रही है। इसी गलती से टी बैग का जन्म हुआ! (Photo Source: Pexels)
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यही था टी बैग का पहला इस्तेमाल — एक पूरी तरह से अनजाने में हुआ आविष्कार, जिसने चाय पीने के तरीके को हमेशा के लिए बदल दिया। थॉमस सुलिवन को बाद में पता चला कि ग्राहक पाउच को सीधे पानी में डाल रहे हैं और उन्होंने सिल्क की जगह पतली गॉज़ की थैलियां बनानी शुरू कर दीं ताकि पानी चाय की पत्तियों तक आसानी से पहुंच सके। (Photo Source: Pexels)
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टी बैग का सचमुच का आविष्कारक कौन?
कई लोग मानते हैं कि थॉमस सुलिवन ने ही टी बैग को खोजा, लेकिन यह सच से थोड़ा अलग है। सुलिवन की कहानी लोकप्रिय जरूर है, लेकिन असलियत यह है कि टी बैग का विचार उससे पहले भी अस्तित्व में था। (Photo Source: Pexels) -
26 अगस्त, 1901 को अमेरिका के मिलवॉकी शहर की दो महिलाओं — रोबर्टा सी. लॉसन और मैरी मैकलेरन — ने एक “टी लीफ होल्डर” के लिए पेटेंट फाइल किया था, जो आज के टी बैग से बहुत हद तक मेल खाता है। उन्हें 1903 में इसका पेटेंट (U.S. Patent No. 723,287) मिला भी। (Photo Source: Pexels)
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इन दोनों महिलाओं का उद्देश्य था क-एक कप के लिए चाय बनाने के लिए ऐसा साधन बनाया जाए जिससे चाय बर्बाद न हो। उस समय की चाय की छलनियां पूरे पॉट के लिए बनाई जाती थीं, जिससे सिंगल यूज संभव नहीं था। (Photo Source: Pexels)
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फिर श्रेय किसे जाए?
अगर देखा जाए तो टी बैग का विचार सबसे पहले लॉसन और मैकलेरन के दिमाग में आया और टी बैग का पेटेंट पहले कराया, लेकिन वे इसे बड़े पैमाने पर बाजार में नहीं ला सकीं। (Photo Source: Pexels) -
वहीं, थॉमस सुलिवन के ग्राहक गलती से टी बैग का इस्तेमाल करने लगे, जिससे यह जल्दी लोकप्रिय हुआ। उन्होंने बाद में रेशमी कपड़ों की जगह ढीली बुनावट वाले गॉज (gauze) कपड़े का उपयोग किया जिससे चाय का स्वाद और बेहतर आया। इस वजह से सुलिवन की कहानी ज्यादा प्रसिद्ध हो गई। (Photo Source: Pexels)
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