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हिंदू परंपरा में ऐसी कई चीजें हैं जिनका महत्व सदियों से चला आ रहा है। ऐसी ही कुछ सामग्रियां दुल्हन के सोलह श्रृंगार का हिस्सा हैं, इनमें से एक है आलता।
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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और तमाम त्योहारों पर महिलाएं श्रृंगार करने के दौरान पैरों में आलता भी लगाती हैं। वहीं शादी-विवाह के दौरान भी आलता लगाना जरूरी माना जाता है।
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आलता को माना जाता है कि यह मां लक्ष्मी का प्रतीक है। इसको लगाने भर से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह आपके वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों को दूर करता है।
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भारत में महावर लगाने का चलन बंगाल, बिहार, झारखंड ओडिशा में सबसे अधिक है। आलता मूल रूप से एक बंगाली शब्द है। हिन्दी में इसे महावर कहते हैं।
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बिहार बंगाल और ओडिशा में आलता के बिना दुल्हन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। बंगाल और ओडिशा में तो दुल्हन के हाथों में भी आलता लगाया जाता है।
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लेकिन आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि आलता केवल पैरों या हाथों की शोभा बढ़ाता है बल्कि इससे हेल्थ को भी कई फायदे पहुंचते हैं।
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पुराने समय मे आलता कच्ची लाख और पान को पीस कर उसे पानी में पकाकर तैयार किया जाता था।
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वैज्ञानिकों का मानना है कि प्राकृतिक तरीके से तैयार आलता लगाने से तनाव कम होता है। इसे लगाने से एड़ियों को ठंडक मिलती है और यह पैरों की स्किन को खराब होने से भी बचाता है।
(Photos Source: Pinterest)
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