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बॉलीवुड के शो मैन राज कपूर (Raj Kapoor) के अरमानों और सपनों का महल आरके स्टूडियो (RK Studio) कभी बॉलीवुड की भी जान हुआ करता था। इस स्टूडियो में केवल राज कपूर के होम प्रोडक्शन की फिल्में ही नहीं, बल्कि अन्य बैनर की फिल्में भी बनती थीं। इस स्टूडियो में राज कपूर होली का विशेष आयोजन करते थे, जिसमें पूरा बॉलीवुड शामिल होता था। राज कपूर की मौत के बाद आरके स्टूडियो भी उदास हो गया था और 2017 में लगी आग ने स्टूडियो की सांसे भी छीन ली थीं। बाद में कपूर खानदान ने राज कपूर की इस निशानी को बेच दिया। तो चलिए आरके स्टूडियो की तस्वीरों के साथ इससे जुड़ी कई अनसुनी बातें बताएं।
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बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर ने ये स्टूडियो 1948 में खड़ा किया था। राज कपूर का यहां एक विशेष कमरा था, जिसमें बहुत चुनिंदा लोगों को अंदर जाने की इजाजत थी।
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मुंबई के चेम्बूर में बना आरके स्टूडियो केवल ईंट, पत्थर या कंक्रीट का ढांचा नहीं था, बल्कि ये राज कपूर के सपनों का महल था। राज कपूर के लिए ये मंदिर था। प्रतिदिन स्टूडियो में काम शुरू होने से पहले पूजा की जाती थी।(<a href=" https://www.jansatta.com/photos/lifestyle-gallery/indira-gandhi-wanted-to-get-rajiv-gandhi-married-with-raj-kapoor-daughter-ritu-nanda/1732755/"> राज कपूर की बेटी ऋतु संग इंदिरा गांधी ने देखा था एक सपना, राजीव गांधी ने नहीं होने दिया था पूरा </a> )
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राज कपूर के बड़े बेटे रणधीर कपूर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि राज साहब ने कहा था कि जब वह मरें तो उन्हें उनके स्टूडियो में ले आना, संभव है कि उस रोशनी की चमक के बीच वह फिर से उठ जाएं और चिल्लाएं- एक्शन, एक्शन।
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1946 में आई फ़िल्म 'वाल्मीकि' में राज कपूर ने 'नारद मुनि' का किरदार निभाया था। फ़िल्म को भालजी पेंढारकर ने निर्देशित की थी और वे राज कपूर को पैसे देने चाहे, लेकिन पृथ्वीराज कपूर ने इंकार कर दिया। तब पैसे की जगह भालजी ने राज कपूर ने नाम चेम्बूर में कुछ ज़मीन कर दी थी।
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स्टूडियो के मुख़्य गेट पर बना चिह्न दरसल फ़िल्म 'बरसात' का वो सीन है जब नरगिस राज कपूर की बांहों में आकर गिर जाती हैं।(<a href=" https://www.jansatta.com/photos/lifestyle-gallery/randhir-kapoor-was-annoyed-by-this-decision-of-kareena-kapoor-and-left-non-veg-for-shahid-kapoor/1730381/">करीना कपूर के इस फैसले से नाराज हो गए थे रणधीर कपूर, शाहिद कपूर के लिए कही थी ये बात </a> )
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1988 में राज कपूर की मौत हुई और वह अपने सपनों का महल अपने बेटे के हवाले कर दुनिया छोड़ गए। फ़िल्म 'आवारा' 1950 के दौरान शूटिंग के लिए तैयार होता स्टूडियो।
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कपूर परिवार के सदस्यों की तस्वीरें दिवार पर लगी हुई। स्टूडियो में फ़िल्मों के कलाकारों द्वारा पहनी जाने वाली हर पोशाक को एक अलग कमरे में सुरक्षित रखा गया था।
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यही नहीं फ़िल्मों में इस्तेमाल की गई कुछ आइकोनिक चीज़ों को भी सहेज कर रखा गया था। 'जिस देश में गंगा बहती है' फ़िल्म से 'डफ़ली' , 'श्री 420' से 'जूते और कोट' या फिर फ़िल्म 'मेरा नाम जोकर' का जोकर।(<a href=" https://www.jansatta.com/photos/lifestyle-gallery/sonam-kapoor-father-anil-kapoor-and-bonny-kapoor-famly-was-a-tenant-in-raj-kapoor-garage/1726729/"> राज कपूर के गैराज में रहता था अनिल कपूर का परिवार, सुनीता को डेट पर ले जाने तक के नहीं होते थे पैसे </a> )
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2017 में आरके स्टूडियो में आग लगी और सब कुछ जल कर राख हो गया था। बाद में कपूर खानदान ने आरके स्टूडियो को बेच दिया। (All Photos: Social Media)