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सिंधिया राजघराने की राजमाता विजयारेज सिंधिया ने अपनी आत्मकथा ‘राजपथ से लोकपथ’ में इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के समय तिहाड़ जेल में बिताएं अपने दिन और वहां के हालात के बारे में बताया था। तिहाड़जेल में उनकी पड़ोसी बनी थीं जयपुर राजघराने की राजमाता गायत्री देवी।
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राजमाता विजयाराजे की आत्मकथा का सत्रहवां अध्याय आपातकाल को समर्पित है। इसी कड़ी में राजमाता ने अपने अट्ठारहवें अध्याय में ‘मैं सरकारी मेहमान’ और उन्नीसवें अध्याय ‘कैदी क्रमांक 2265’ से अपने तिहाड़ में बिताए दिनों का उल्लेख किया था।
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राजमाता तिहाड़जेल को नरककुंड का नाम दी थी और यहां वह कैदी नंबर 2265 थीं।
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राजमाता ने बताया था कि 3 सितंबर 1975 को जब उन्हें तिहाड़ जेल ले जाया गया और वहां कार्ड उन्हें थमाया गया उस पर ये तारीख और उनका अपराध भी अंकित था। कार्ड पर लिखा था कि उन्हें आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करने के कारण गिरफ्तार किया गया है।
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राजमाता विजयारोज जब तिहाड़ पहुंची तो देखा कि जयपुर की राजमाता गायत्री देवी भी उनके बगल के बैरक में थीं। उन्हें देखकर राजमाता के मुंंह से निकल पड़ा था कि अरे आपको भी आखिर यहां ले ही आए। जेल की पुरानी कचहरी वाला कमरा गायत्री देवी को दिया गया था। उससे लगकर बरामदा था। उसके पार वाले कमरे में विजयाराजे को रखा गया था।
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जेल में गायत्री देवी और विजयाराजे को को एक ही शौचालय इस्तेमाल करना होता था और वहां नल भी नहीं था। जमीन में एक सुराखभर था। जिसे जेल का स्वीपर दिन में दो बार आकर एक दो बाल्टी पानी डाल देता था।
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राजमाता ने लिखा था कि वह फिर भी उन महिला कैदियों से खुद को भाग्यशाली मानती थीं जिनकी कोठरियों में शौचालय ही नहीं थे और उन्हें शौचालय के लिए लंबी लाइन लगानी होती थी।
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बैरक में दो कुर्सियां और एक खटिया। बिजली के बल्ब का प्रकाश मोमबत्ती जैसा लगता था। जगह-जगह गंदगी का ढेर जमा था। भोजन के समय थाली पर भिनभिनाती मक्खियां होती थीं। दिन ढलता तो मक्खियां सो जातीं, मच्छर जाग उठते। आधी रात तक भी शोर बंद नहीं होता।
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तिहाड़ जेल लाने से पहले राजमाता को कई महीनों तक पचमढ़ी के बायसन लॉज में बनी अस्थायी जेल में रखा गया था। विजयाराजे ने लिखा था कि उन्हें चंबल के खूंखार डाकुओं जैसा समझा जाता था। बगल में कमरे में स्थायी रूप से पांच छह महिला पुलिस अधिकारी तैनात थीं। प्रवेश द्वारा और पिछवाड़े पर सशस्त्र बल का पहरा था जो दिन-रात गश्त लगाते थे।Photos: Social Media
