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बदलती लाइफस्टाइल और मौसम के असर से आजकल कई लोगों को बार-बार प्यास लगने और मुंह सूखने की समस्या होने लगी है। आमतौर पर इसे पानी की कमी या मौसम में बदलाव का असर मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार यह समस्या शरीर के आंतरिक असंतुलन का संकेत हो सकती है। कई बार पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के बावजूद भी मुंह सूखा महसूस होता है, जो केवल डिहाइड्रेशन नहीं बल्कि लार की कमी की ओर इशारा करता है। (Photo Source: Pexels)
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पानी की कमी नहीं, लार की कमी है असली कारण
जब मुंह में लार कम बनने लगती है, तो पानी पीने के बाद भी राहत नहीं मिलती। आयुर्वेद में इस स्थिति को मुख शोष कहा जाता है। लार केवल मुंह को गीला रखने का काम नहीं करती, बल्कि यह पाचन की शुरुआत, दांतों की सुरक्षा, गले को संक्रमण से बचाने और पूरे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती है। लार की कमी लंबे समय तक बनी रहे तो दांतों की समस्या, गले में जलन और पाचन संबंधी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। (Photo Source: Pexels) -
आयुर्वेद के अनुसार मुंह सूखने के कारण
आयुर्वेद में मुंह सूखना और बार-बार प्यास लगना वात, पित्त और अग्नि दोष के असंतुलन से जुड़ा माना गया है। वात दोष बढ़ने से शरीर में रूखापन आता है, जिससे मुंह और गला सूखने लगता है। पित्त दोष के असंतुलन से शरीर में गर्मी और जलन बढ़ती है, जो लार को सूखने का कारण बनती है। (Photo Source: Pexels) -
अग्नि दोष बिगड़ने पर पाचन कमजोर होता है, जिससे शरीर में आवश्यक तरलता कम हो जाती है। खासकर सर्दियों में वात दोष स्वाभाविक रूप से बढ़ता है, जबकि गर्मियों में पित्त दोष हावी हो जाता है। इन दोनों स्थितियों में मुंह सूखने की समस्या आम हो जाती है। (Photo Source: Unsplash)
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मुंह सूखने और लार की कमी के आयुर्वेदिक उपाय
आयुर्वेद में इस समस्या को कम करने के लिए कुछ सरल, घरेलू और प्रभावी उपाय बताए गए हैं:
घृत पान करें
सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में एक चम्मच देसी घी मिलाकर पीने से शरीर की आंतरिक शुष्कता कम होती है। यह मुंह और गले की सूखापन को दूर करने में मदद करता है और वात दोष को संतुलित करता है। (Photo Source: Pexels) -
मुलेठी का सेवन
मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से गले को ठंडक मिलती है। यह पित्त को शांत करता है और प्राकृतिक रूप से लार बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। (Photo Source: Freepik) -
ऑयल पुलिंग अपनाएं
आयुर्वेद में मुंह की शुष्कता दूर करने के लिए ऑयल पुलिंग को बेहद लाभकारी माना गया है। दिन में एक या दो बार नारियल तेल या तिल के तेल से कुल्ला करने से लार ग्रंथियां सक्रिय होती हैं, दांत मजबूत होते हैं और मुंह का सूखापन कम होता है। (Photo Source: Pexels) -
आंवला का रस पिएं
आंवला पित्त दोष को शांत करता है और शरीर को ठंडक प्रदान करता है। नियमित रूप से आंवला का रस पीने से लार बनने में मदद मिलती है और मुंह की शुष्कता दूर होती है। (Photo Source: Pexels) -
धनिए का पानी
धनिए का पानी पेट की जलन को शांत करता है और शरीर की अंदरूनी गर्मी को कम करता है। यह उपाय मुंह सूखने और बार-बार प्यास लगने की समस्या में राहत देता है। (Photo Source: Unsplash) -
कब बरतें सावधानी
यदि मुंह सूखने की समस्या लंबे समय तक बनी रहे, साथ में जलन, छाले, गले में खराश या पाचन से जुड़ी दिक्कतें भी हों, तो इसे नजरअंदाज न करें। ऐसी स्थिति में आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होता है। (Photo Source: Pexels)
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