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आज के दौर में शैम्पू हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। बालों की सफाई और देखभाल के लिए लोग तरह-तरह के शैम्पू का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शैम्पू का आविष्कार अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी या किसी दूसरे देश में नहीं, बल्कि भारत में हुआ था? जी हां, जिस शैम्पू से आप अपने बालों को चमकदार और स्वस्थ बनाते हैं, उसकी जड़ें भारतीय परंपरा से जुड़ी हुई हैं। (Photo Source: Pexels)
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भारत में शैम्पू की शुरुआत कैसे हुई?
शैम्पू शब्द की उत्पत्ति हिंदी शब्द ‘चम्पू’ या ‘चम्पी’ से से हुई है, जिसका अर्थ होता है सिर की मालिश करना। प्राचीन भारत में बालों की सफाई के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और औषधीय पदार्थों का उपयोग किया जाता था। (Photo Source: Pexels) -
रीठा, शिकाकाई, आंवला, भृंगराज, नीम और अन्य जड़ी-बूटियों से बने लेप को बालों की सफाई और पोषण के लिए इस्तेमाल किया जाता था। (Photo Source: Pexels)
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खास रूप से राजघरानों और धनवान परिवारों की महिलाएं बालों की देखभाल के लिए इन हर्बल मिश्रणों का उपयोग करती थीं। भारतीय आयुर्वेद में बालों की देखभाल के लिए तेल मालिश (चम्पी) और हर्बल मिश्रणों का उपयोग करने की परंपरा बहुत पुरानी है। (Photo Source: Pexels)
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कैसे मुगलों और अंग्रेजों ने अपनाया भारतीय शैम्पू?
भारत में शैम्पू की यह परंपरा मुगल काल में भी लोकप्रिय थी। मुगलों ने इस प्राचीन भारतीय तकनीक को अपनाया और अपने बालों की सफाई और सुंदरता बढ़ाने के लिए हर्बल शैम्पू का उपयोग किया। (Photo Source: Pexels) -
जब अंग्रेज भारत आए, तो उन्होंने भी इस पारंपरिक जड़ी-बूटी आधारित शैम्पू को देखा और पसंद किया। उन्हें भारतीयों का यह हर्बल फार्मूला इतना पसंद आया कि वे इसे अपने देश ले गए। (Photo Source: Pexels)
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साके डीन मोहम्मद: भारतीय जिसने ब्रिटेन को शैम्पू से परिचित कराया
ब्रिटेन में शैम्पू को लोकप्रिय बनाने का श्रेय बंगाल के रहने वाले साके डीन मोहम्मद को जाता है। उन्होंने 1814 के आसपास ब्रिटेन में हर्बल शैम्पू का उपयोग और इसके फायदों को लोगों को बताया। (Photo Source: Pexels) -
उन्होंने इंग्लैंड के ब्राइटन शहर में पहला शैम्पू स्नान केंद्र (Shampooing Bath) खोला, जहां मालिश और बालों की सफाई की जाती थी। (Photo Source: Pexels)
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ब्रिटेन में यह तकनीक इतनी लोकप्रिय हुई कि वहां के लोग शैम्पू को अपने सौंदर्य और स्वच्छता के अनिवार्य हिस्से के रूप में अपनाने लगे। (Photo Source: Pexels)
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कैसे बना आधुनिक बोतलबंद शैम्पू?
भले ही भारत में प्राकृतिक रूप से शैम्पू का उपयोग सदियों से होता आ रहा था, लेकिन इसे बोतलबंद करने और व्यावसायिक रूप से बेचने की शुरुआत बाद में हुई। (Photo Source: Pexels) -
1927 में जर्मन आविष्कारक हंस श्वार्जकोफ (Hans Schwarzkopf) ने लिक्विड शैम्पू का आविष्कार किया और इसे बोतलों में पैक करके बेचना शुरू किया। बाद में, दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने अलग-अलग प्रकार के शैम्पू विकसित किए, जिनमें कृत्रिम सुगंध और रसायन भी शामिल थे। (Photo Source: Pexels)
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भारत का पारंपरिक हर्बल शैम्पू आज भी सबसे लोकप्रिय
आज दुनियाभर में हजारों प्रकार के शैम्पू उपलब्ध हैं, लेकिन भारतीय हर्बल शैम्पू की लोकप्रियता सबसे अधिक बनी हुई है। रीठा, शिकाकाई, आंवला, ब्राह्मी और अन्य प्राकृतिक तत्वों से बने शैम्पू महंगे ब्रांडेड शैम्पू से भी ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित माने जाते हैं। यही कारण है कि हर्बल शैम्पू की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है। (Photo Source: Pexels)
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