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जीवन में सफलता केवल धन, पद और प्रतिष्ठा से नहीं मिलती, बल्कि सच्ची सफलता तब होती है जब मन शांत हो, विचार सकारात्मक हों और आत्मा आनंद से भरी हो। यही कारण है कि संत-महापुरुष अपने जीवनदर्शन से हमें सही दिशा दिखाते हैं। प्रेमानंद जी महाराज भी उन्हीं महान संतों में से एक हैं, जिनके विचार व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा और व्यावहारिक सफलता दोनों का मार्ग प्रशस्त करते हैं। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों में सदैव भक्ति, साधना और जीवन की सरलता पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि भक्ति केवल मंदिर या पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे आचरण, विचार और जीवनशैली में भी झलकनी चाहिए। आइए जानते हैं महाराज जी के 10 ऐसे अनमोल विचार और उनके अर्थ, जो आपके जीवन को सकारात्मक और सफल बनाने में मदद कर सकते हैं—
(Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
प्रेमानंद महाराज के 10 अनमोल विचार और उनके अर्थ
शास्त्र विरुद्ध क्रिया होगी, तो पतन का संयोग बन जाएगा।
जीवन में सही मार्गदर्शन और नियमों का पालन आवश्यक है। शास्त्रों के विपरीत चलना विनाश का कारण बन सकता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
आहार और आचरण दोनों का शुद्ध होना अति आवश्यक है।
जैसे भोजन शरीर को प्रभावित करता है, वैसे ही आचरण मन और आत्मा को प्रभावित करता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
फल की इच्छा से रहित होकर की गई सेवा ही सच्चा दान है।
निस्वार्थ भाव से किया गया दान ही सच्चे पुण्य का कारक होता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
जिसे गुरु स्वीकार कर लें, उसे स्वयं भगवान भी अस्वीकार नहीं कर सकते।
गुरु की कृपा सबसे बड़ी शक्ति है, उनके आशीर्वाद से जीवन में असंभव भी संभव हो जाता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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इस संसार में वही धनी है जिसके पास नाम जप का धन है।
वास्तविक धन भक्ति और नाम जप है, जो जीवन में शांति और आनंद देता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
पाप कर्मों का फल ही नकारात्मक विचारों के रूप में आता है।
जब हम गलत कार्य करते हैं तो उसका परिणाम मन में नकारात्मकता और बेचैनी के रूप में सामने आता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
मन स्वत: भगवान में नहीं लगेगा, हमें प्रयास करना ही पड़ेगा।
साधना और भक्ति के लिए निरंतर प्रयास जरूरी है, तभी मन ईश्वर में लग पाता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
जिस स्थिति में भगवान रखें उसी स्थिति में संतुष्ट रहो।
संतोष ही सबसे बड़ा धन है, परिस्थितियों को स्वीकार करने से जीवन सहज बनता है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
आपका अपमान करने वाला आपके पाप नष्ट कर रहा है, बस सहन कर लीजिए।
अपमान को धैर्य से सहन करना भी एक प्रकार की साधना है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook) -
यदि नाम जप चलता रहेगा तो आनंद स्थिर बना रहेगा।
निरंतर भगवान के नाम का स्मरण करने से आत्मा को स्थायी सुख और शांति मिलती है। (Photo Source: PremanandJi Maharaj/Facebook)
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