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बॉलीवुड में कई सितारे ऐसे हैं जिनका सफर संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एक अलग पहचान बनाई। ऐसा ही एक नाम है — जीतेंद्र, जिनका असली नाम रवि कपूर है। आज जब हम उन्हें एक सफल सुपरस्टार, निर्माता और सुलझे हुए बिजनेसमैन के रूप में देखते हैं, तो शायद ही कोई यह अंदाजा लगा पाए कि इस चमक-धमक की शुरुआत एक्ट्रेस के बॉडी डबल बनने से हुई थी। (Photo Source: @jeetendra_kapoor/instagram)
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जीतेंद्र का जन्म 7 अप्रैल 1942 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनके पिता अमरनाथ कपूर फिल्म इंडस्ट्री में नकली ज्वेलरी का कारोबार करते थे। इसी कारोबार के चलते उनका पूरा परिवार मुंबई में आकर बस गया। (Photo Source: @jeetendra_kapoor/instagram)
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पढ़ाई और शुरुआती जिंदगी
जीतेंद्र की शुरुआती पढ़ाई सेंट सेबेस्टियन गोअन हाई स्कूल, मुंबई में हुई थी, जहाँ उनके साथ सुपरस्टार राजेश खन्ना भी पढ़ते थे। दोनों की दोस्ती स्कूल के दिनों से ही बहुत गहरी थी। इसके बाद जीतेंद्र ने अपनी आगे की पढ़ाई सिद्धार्थ कॉलेज, मुंबई से पूरी की। (Photo Source: @jeetendra_kapoor/instagram) -
फिल्मों में एंट्री का दिलचस्प किस्सा
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जीतेंद्र अपने पिता के नकली ज्वेलरी के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे। इसी काम के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर फिल्ममेकर वी. शांताराम से हुई। वी. शांताराम की फिल्म कंपनी में जीतेंद्र का आना-जाना लगा रहता था। (Still From Film) -
फिल्मी माहौल में रहकर उनके मन में भी एक्टर बनने की इच्छा जाग गई। एक दिन उन्होंने वी. शांताराम से कहा कि वे किसी फिल्म की शूटिंग देखना चाहते हैं। शांताराम ने जवाब दिया, ‘सिर्फ देखने से कुछ नहीं होगा, काम करोगे?’ जीतेंद्र ने बिना सोचे-समझे हां कर दी। (Photo Source: @jeetendra_kapoor/instagram)
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जब जीतेंद्र बने हीरोइन के बॉडी डबल
यह किस्सा जीतेंद्र ने खुद ‘द कपिल शर्मा शो’ में शेयर किया था। उन्होंने बताया कि एक बार बीकानेर में फिल्म ‘सेहरा’ की शूटिंग चल रही थी। फिल्म की हीरोइन संध्या जी के लिए बॉडी डबल नहीं मिल रही थी। ऐसे में वी. शांताराम ने जीतेंद्र से कहा कि वे संध्या जी का बॉडी डबल बनें। (Still From Film) -
जीतेंद्र उस वक्त कुछ भी करने को तैयार थे, इसलिए उन्होंने यह रोल स्वीकार कर लिया। इस तरह जीतेंद्र पहली बार कैमरे के सामने आए — वो भी एक्ट्रेस के बॉडी डबल बनकर, और इस तरह फिल्मों में उनका पहला कदम पड़ा। (Photo Source: @jeetendra_kapoor/instagram)
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संघर्ष और पहला बड़ा ब्रेक
शुरुआती दौर में जीतेंद्र को छोटे-मोटे काम तो मिलते थे लेकिन उन्हें करीब 6 महीने तक कोई सैलरी नहीं मिली। वी. शांताराम ने वादा किया था कि उन्हें जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर हर महीने ₹105 रुपये मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। (Photo Source: @jeetendra_kapoor/instagram) -
आखिरकार साल 1964 में वी. शांताराम ने ही उन्हें फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ में ब्रेक दिया। इस फिल्म में उन्हें मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला और इसी फिल्म से उनकी पहचान बननी शुरू हुई। इस फिल्म के लिए जीतेंद्र को ₹100 रुपये फीस मिली थी। (Still From Film)
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फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
‘गीत गाया पत्थरों ने’ से जीतेंद्र का असली फिल्मी सफर शुरू हुआ। इसके बाद जीतेंद्र ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अपने करियर में ‘फर्ज’, ‘कारवां’, ‘परिचय’, ‘धरमवीर’, ‘हिम्मतवाला’, ‘तोहफा’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। अपने डांसिंग स्टाइल और रोमांटिक इमेज की वजह से वे ‘जंपिंग जैक’ के नाम से मशहूर हो गए। (Still From Film)
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