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देश में भले ही हिंदु-मुस्लिम जाति के कुछ लोग आपस में अपने-अपने धर्मों को लेकर भेदभाव रखते हों लेकिन बात अगर हिंदु त्यौहारों में साज-सज्जा की करें तो यहां पर हमारे देश के मुस्लिम भाई-बहन ही आगे रहते हैं। फिर चाहे होली-बसंत पचंमी, रक्षाबंधन हो या फिर जनमाष्टमी जैसे त्योहार। (फोटो: भाषा)
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आज जनमाष्टमी का त्यौहार है जिसकी तैयारियां राजधानी के हर गली मुहल्ले में हो चुकी हैं। श्रीकृष्ण के जनमोत्सव को जहां हिंदु लोग उनका खीरे से केक काटकर और मिठाइयां खिलाकर उन्हें झूला झुलाकर और दही मटकी जैसे आंदोलन कर मना रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बात अगर मुस्लिम की करें तो वह भी इस त्यौहर को सेलिब्रेट करने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जी हां, जो इस तस्वीर में साफ तौर पर देख सकते हैं। जिसमें एक मुस्लिम लेडी के बच्चों ने भी खुद को कान्हा की रूपरेखा में ढाला है। (फोटो: भाषा)
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तो दूसरी ओर मुस्लिमों औरतें हिंदुओं की ओर से तैयार किए गए कान्हाओं को मीठा खिलाते नजर आ रही हैं। तस्वीर में जहां नन्हें बच्चे बालगोपाल कृष्ण का रूप धारण किए हुए हैं तो वहीं इन औरतों भले ही लिवाज यशोदा का न पहना हो लेकिन इनके अंदर प्यार उसी मां के जैसा देखने को मिल रहा है। (फोटो: भाषा)
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देखिए कैसे हर जाति के बच्चें यहां कान्हा बन माखन की मटकी फोड़ते नज़र आ रहे हैं। किसी ने सही कहा है कि 'बच्चे मन के सच्चे…' इनमें ना किसी के लिए बैर और ना यह जानते हिन्दू-मुस्लिम… (फोटो: भाषा)
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वहीं कृष्ण जनमाष्टमी के अवसर पर बाजारों में आए कान्हा के बस्त्र, मुकुट, मोरपंख और बांसुरी को भी देश के मुस्लिम भाइयों-बहनों ने तैयार किया है। गौरतलब है कि इससे पहले आए राखी के त्यौहर रक्षाबंधन में भी वाराणसी की दो मुस्लिम बहनों की ओर से पीएम मोदी की राखी पिरोई गई थी। ऐसे में देश में हर त्यौहारों को सेलिब्रेट करने का हर किसी का अपना-अपना तरीका है। (फोटो: भाषा)
