कभी दिवाली की रौनक का अंदाज़ा दुकानों पर उमड़ती भीड़ और बाजार की सजावट से होता था। लेकिन अब वक्त बदल गया है, अब दिवाली के आने की दस्तक ‘बिग बिलियन डे’ और ‘ग्रेट इंडियन फेस्टिवल’ जैसी ऑनलाइन सेल से होती है। विज्ञापन ऐसे किए जाते हैं कि मानो प्रोडक्ट्स आधी कीमत पर नहीं बल्कि मुफ्त में बंट रहे हों।

लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गड़बड़ नज़र आया। सोशल मीडिया- चाहें X (Twitter) हो या Facebook, हर जगह यूजर्स गुस्से में अपनी भड़ास निकालते दिखे। वजह? फ्लिपकार्ट का आईफोन 16 वाला ‘अब तक का सबसे बड़ा डिस्काउंट’ वाला ऑफर जो यूजर्स के मुताबिक एक बड़ा धोखा निकला।

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iPhone 16: ‘डील ऑफ द ईयर’ या ‘फ्रॉड ऑफ द ईयर’?

21 सितंबर की रात 12 बजे Plus मेंबर्स के लिए सेल शुरू हुई। कई यूज़र्स (मैंने भी) ने कोशिश की, लेकिन पहले तो साइट यही बताती रही कि “आपके पिनकोड पर डिलीवरी उपलब्ध नहीं है।” अजीब बात है, कुछ ही मिनटों में वही फोन कार्ट में चला भी गया और पेमेंट भी हो गया। सवाल उठता है कि जो डिलीवरी पहले ‘Unavailable’ और फिर अचानक ‘Available’ कैसे हो गई?

यही नहीं, फ्लिपकार्ट ने Axis Bank कार्ड डिस्काउंट का दावा किया था। लेकिन कई यूजर्स को कार्ड से पेमेंट करने के बावजूद ऑफर का फायदा नहीं मिला। यानी डिस्काउंट का पूरा खेल ही संदिग्ध नज़र आया।

कैंसिलेशन का खेला

जिन्होंने जैसे-तैसे ऑर्डर प्लेस कर दिया, उन्हें लगा कि अब तो दिवाली की शुरुआत आईफोन से होगी। लेकिन सुबह होते-होते नोटिफिकेशन आया कि ‘आपका ऑर्डर कुछ कारणों से कैंसिल कर दिया गया है।’ और यह किसी एक-दो ग्राहक के साथ नहीं बल्कि सैकड़ों यूज़र्स के साथ हुआ। लोग X पर खुलेआम लिख रहे हैं कि उनके आईफोन ऑर्डर कैंसिल कर दिए गए और फ्लिपकार्ट ने रिफंड प्रोसेस का मैसेज भेज दिया।

यह ठगी नहीं तो और क्या है?

डिस्काउंट के नाम पर हिडन चार्जेस – Offer Handling Fee, Payment Handling Fee, Protect Promise Fee लगाए गए हैं।

एक्सचेंज ऑफर के नाम पर भी Pick Up Charge वसूला जा रहा है। सवाल यह है कि जब डिलीवरी बॉय फोन लेने आ ही रहा है तो अलग से पिकअप चार्ज किस बात का?

डिलीवरी का ‘Unavailable’ और ‘Available’ वाला खेल, क्या यह ग्राहकों को उलझाकर फंसा देने का तरीका है?

असली सवाल है कि आखिर यह पूरा खेल है क्या? क्या ई-कॉमर्स कंपनियां दिवाली सेल को ठगी का नया बाजार बना रही हैं? क्या ये ऑफर सिर्फ लोगों को लुभाने और फिर उनकी उम्मीदें तोड़ने का जरिया हैं?

ई-कॉमर्स का मकसद ग्राहकों की जिंदगी आसान बनाना था, लेकिन लगता है अब यह केवल डिस्काउंट के झांसे और छिपे हुए चार्जेस का खेल बन गया है।

वक्त आ गया है बाजारों में लौटने का?

दिवाली की असली रोशनी बाजारों की रौनक में थी जहां भरोसा और लेन-देन पारदर्शी होता था। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने इस भरोसे को ‘कैंसिल’ कर दिया है। अब वक्त आ गया है कि ग्राहक सिर्फ डिस्काउंट के जाल में न फंसें और कंपनियों से पारदर्शिता की मांग करें। सबसे जरूरी बात कि अपने आसपास के बाजार जाइये, चीजों को सामने से देखिए और जांच-परख कर सामान खरीदिए।

बाजार में दुकानदार की आंखों में देखकर मोलभाव करना, त्योहार की भीड़ में खरीदारी करना और असली ऑफर पाना शायद ज्यादा ईमानदार और सुरक्षित सौदा है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने हमारे समय को जरूर आसान बनाया लेकिन अब शायद वापसी का समय है।