वास्तु का हमारे जीवन में बहुत प्रभाव पड़ता है। अगर हमारा घर या कार्यस्थल वास्तु के अनुसार नहीं बना हो तो घर के लोगों की बरकत रुक जाती है। साथ ही छोटी- छोटी बातों से आपस में लड़ाई- झगड़ा होता रहता है। साथ ही जिन घर में लड़ाई- झगड़ा होता है वहां से मां लक्ष्मी रूठकर चली जाती हैं। यहां हम बात करने जा रहे हैं घर के मंदिर के वास्तु के बारे में। आइए जानते हैं घर के मंदिर के वास्तु के बारे में प्रमुख 5 बातें…

इस दिशा में हो मंदिर

वास्तु अनुसार घर का मंदिर या पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में ही बनाएं। क्योंकि ही वास्तु के अनुसार दक्षिण या पश्चिम दिशा अशुभ फलदाई होती है। साथ ही घर के मंदिर में दो शंख साथ रखना भी सही नहीं माना जाता है। ऐसे घरों के सदस्य हमेशा परेशानियों से घिरे रहते हैं। साथ ही सुख- समृद्धि का अभाव रहता है।

मूर्तियों का साइज का रखें ध्यान

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर में ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। साथ ही पूजा स्थल में शिवलिंग भी ज्यादा बड़े नहीं होनी चाहिए। क्योंकि शिवलिंग बहुत संवेदनशील होते हैं। इसलिए अंगूठे के साइज के बराबर की आप घर के मंदिर में शिवलिंग रख सकते हैं। अगर आप बड़ी मूर्तियां रख रहे हैं तो उनकी विधिवत प्राण प्रतिष्ठा जरूर कराएं।

मंदिर के पास न हो शौचालय

मंदिर के आस-पास शौचालय भूलकर भी न बनाएं। साथ ही देखा होगा कि कई बार लोग घर के रसोईघर में मंदिर बना लेते हैं, लेकिन वास्तु के हिसाब से रसोई घर में भी मंदिर नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता। क्योंकि रसोई में खाना बनाते समय घुंआ निलकता है और वो घुंआ सभी देवी- देवताओं पर जाता है, जिसको शुभ नहीं माना जाता है।

खंडित और टूटी मूर्तियां नहीं रखें

वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर के मंदिर में कभी भी खंडित या टूटी हुई मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। इससे घर में नकारात्मकता आती है। इतना ही नहीं, अगर आप खंडित मूर्तियों की पूजा करेंगे, तो देवता नाराज हो सकते हैं। साथ ही धन की हानि होती है और दरिद्री भी छा सकती है।