पूंजी बाजार को और गहरा करने के मकसद से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को असूचीबद्ध गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों तथा प्रतिभूतिकृत रिण उत्पादों में निवेश की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। सेबी निदेशक मंडल की कल होने वाली बैठक में इस पर विचार किया जाएगा। सुधार उपायों के तहत नियामक की योजना प्रवर्तकों तथा निजी इक्विटी कोषों के बीच मुनाफा भागीदारी करार पर कारपोरेट गवर्नेंस नियमों को भी कड़ा करने की है। बाजारों में अल्पांश शेयरधारकों के हितों के संरक्षण के मद्देनजर नियामक यह कदम उठा रहा है।
सेबी की योजना शुरुआती चरण के स्टार्ट अप पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहन देने को उद्यम पूंजी कंपनियों के लिए न्यूनतम एंजल कोष निवेश को मौजूदा के 50 लाख रुपए से घटाकर 25 लाख रुपए करने की योजना है। नियामक संभवत: ‘एंजल’ कोषों को अपने निवेश योग्य कोष का 25 प्रतिशत विदेश में निवेश करने की अनुमति दे सकता है। यह कुछ वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) की तर्ज पर होगा। सूत्रों ने बताया कि सेबी के निदेशक मंडल की कल होने वाली बैठक में इन प्रस्तावों पर विचार होगा।
