राजस्थान के कोटा में एक कैदी के बेटे ने जेल में पिता के साथ रहकर आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम पास करके एक मिसाल पेश की है। पीयूष मीणा कोटा में खुली जेल में अपने पिता के साथ 8*8 के कमरे में रह रहा था। होस्टल फीस नहीं होने की वजह से पीयूष ने उसी कमरे में रहकर आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी की। कैदी फूलचंद के बेटे पीयूष ने जेईई एडवांस में 453वीं रैंक (एसटी कैटेगरी) हासिल की है। खुली जेल में कैदी ना केवल अपने परिवार के सदस्यों के साथ रह सकते हैं, बल्कि वे कमाई के लिए रोजाना बाहर भी जा सकते हैं। फूलचंद हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं।
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पिता की मर्जी नहीं होने के बाद भी पीयूष जुलाई 2014 में जेल में शिफ्ट हो गया था। पीयूष के पिता पूर्व अध्यापक फूलचंद का कहना है कि उसे होस्टल और कॉचिंग फीस के लिए दो लाख रुपए की जरूरत थी। लेकिन दोस्तों और रिश्तेदारों से वह एक लाख रुपए ही जुटा पाया था। उसने अपने बेटे के आईआईटी में जाने के सपने को पूरा करने के लिए प्राइवेट स्कूल में नौकरी की भी कोशिश की। लेकिन उसे मेडिकल स्टोर पर केवल हेल्पर की ही जॉब मिल पाई।
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पीयूष का कहना है कि शुरुआत में खुली जेल में पढ़ाई करना आसान नहीं था। यहा रूल्स बहुत कठिन हैं। यहां रात में 11 बजे लाइट बंद कर दी जाती हैं। वह खिड़की के जरिए पढ़ते था। जब तक वह अपनी पढ़ाई पूरी करता तब तक उसके पिता सेल से बाहर रहते थे। पीयूष का कहना है कि आईआईटी में सलेक्शन होने से पहले वह किसी को नहीं बताते थे कि वे जेल में रहते हैं और कैदी के बेटे हैं।
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पीयूष के पिता फूलचंद जेल में 12 साल से हैं और अभी उन्हें दो साल और जेल में काटने होंगे।
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