गुजरात से दिल्ली तक पटेल आंदोलन का डंटा बजाने वाले युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल रविवार को जमानत मिल गई है। गुजरात हाई कोर्ट ने हार्दिक पटेल पर और सख्त शर्त लगाते हुए, उन्हें 9 महीने तक मेहसाना में दाखिल न होने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले उन्हें राजद्रोह के दो मामलों में कोर्ट से जमानत मिल चुकी थी। इसके साथ कोर्ट ने शर्त भी रखी थी कि जेल से छूटने पर उन्हें छह महीने का समय राज्य से बाहर गुजारना होगा।

22 साल के हार्दिक को पिछले साल अक्टूबर में राजकोट से गिरफ्तार किया गया था। उसी माह उनके खिलाफ अगस्त के आंदोलन की हिंसक घटनाओं और सूरत में अपने एक समर्थक को आत्महत्या करने की बजाय पुलिसवालों को मारने की सलाह देने को लेकर राजद्रोह के ये अलग-अलग मामले अहमदाबाद और सूरत के अमरोली में क्राईम ब्रांच ने दर्ज कराए थे।

पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने 6 महीने के लिए गुजरात निकाला की शर्त पर हार्दिक को दो मामलों में जमानत दी थी. राज्य सरकार इस जमानत में अपनी भूमिका बता रही है, लेकिन हार्दिक के परिवार की राय दूसरी है।

हार्दिक की रिहाई अगले साल अंत में होने वाले गुजरात चुनाव पर असर डाल सकती है। भले हार्दिक पटेल को राज्य से बाहर रहने को कहा गया है लेकिन पाटीदार नेता राज्य में आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं। पाटीदार नेताओं के इस रुख से राज्य की बीजेपी सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद हुए पंचायत चुनावों में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था।