दिसंबर माह के अंत में सरकार ने पब्लिक प्रोविडेंट फंड में कुछ बदलाव किए हैं। इन्हीं बदलावों में से एक है पीपीएफ खातों पर लिए जाने वाले लोन की ब्याज दर में कटौती। बता दें कि 12 दिसंबर से या उसके बाद पीपीएफ खातों पर लोन लेने वाले लोगों को सालाना पीपीएफ की ब्याज दर प्लस एक प्रतिशत का ब्याज देना होगा, पहले यह दर 2% थी। इस तरह यदि आपने पीपीएफ खाते से लोन लिया है तो आपको मौजूदा नियमों के अनुसार, ब्याज दर 7.9 प्लस 1 प्रतिशत यानि कि कुल 8.9 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना होगा। सरकार ने पीपीएफ खाते के लोन पर ब्याज दर में कटौती भले कर दी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पीपीएफ खाते से लोन लेना सही फैसला नहीं है।
इसकी वजह बताते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि पीपीएफ खाते से लोन लेने पर आपको अपने खाते पर मिलने वाली टैक्स छूट का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसके साथ ही खाताधारक को लोन ली गई रकम पर ब्याज का भुगतान भी नहीं किया होगा, जब तक की खाताधारक लोन ली गई पूरी रकम ब्याज सहित वापस ना चुका दे।
पीपीएफ खाते पर लोन लेने के लिए खाताधारक को खाता खुलवाने के बाद 3 साल तक इंतजार करना होगा और नियमानुसार, 3 साल की अवधि से लेकर 6 साल तक आप अपने खाते में जमा की गई राशि पर लोन ले सकते हैं। लोन खाते में जमा कुल धनराशि के 25 फीसदी ही मिलेगा।
गौरतलब है कि पीपीएफ खाते पर लोन लेने के लिए उसका नियमित होना जरुरी है। इसके साथ ही पीपीएफ खाते से लिए गए लोन को तीन साल के भीतर चुकाना होता है। 7 साल के बाद पीपीएफ खाते पर लोन नहीं लिया जा सकता। पीपीएफ के लोन का एक बार में Principal भुगतान कर सकते हैं। इसके साथ ही किस्तों में भी मूलधन का भुगतान किया जा सकता है।
यहां ये बात ध्यान देने वाली है कि यदि आपने मूलधन का भुगतान कर दिया है और ब्याज का भुगतान नहीं किया है तो ब्याज की रकम आपके मूलधन से काट ली जाएगी। बता दें कि पीपीएफ निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है और आयकर अधिनियम 80सी के तहत इस पर आयकर में छूट भी मिलती है। वहीं ब्याज दर भी काफी उच्च होती है, जिससे रिटर्न अच्छा मिलता है।