देश के अव्वल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शुमार जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने देश के उन जवानों की सुध ली है जो सेवानिवृत्त होने पर डिग्री के अभाव में हाशिए पर चले जाते हैं। पहली बार भारतीय वायु सेना और भारतीय जल सेना (नेवी) के हजारों जवान एक साल में जामिया से स्नातक की डिग्री पा सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, इस योजना के पहले सत्र में ही अब तक 5000 से ज्यादा जांबाजों ने आवेदन किया है। जिन्हें अगले साल सेवानिवृत्ति से पहले ही ‘जामिया ग्रेजुएट’ का तमगा हासिल होगा।
कुलपति प्रोफेसर तलत अहमद की पहल पर जामिया ने वायु सेना और जल सेना के उच्च अधिकारियों से समझौता कर इसका मसौदा तैयार करवाया। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक, यह डिग्री पूरी तरह तीन साल वाली सामान्य डिग्री की तरह ही होगी। जांबाजों को उनके कार्यकाल के दौरान किए कार्यों को तवज्जो दी जाएगी। जवानों के सेवाकाल के कार्यों का ‘क्रेडिट’ मूल्यांकन उन्हें प्रथम वर्ष और दूसरे वर्ष में उत्तीर्ण कराएगा। तीसरे वर्ष के छह पत्र उन्हें एक साल में उत्तीर्ण करने होंगे। यानी एक साल में इन छह पत्रों की परीक्षा देकर वे जामिया के स्नातक हो सकते हैं।
जामिया का दावा है कि उसकी इस पहल के बाद 12वीं पास कर फौज में जाने व सीमा पर दो दशक खपा देने वाले जांबाजों मसलन सिपाहियों, नायब सूबेदारों, सूबेदारों को सेवानिवृत्त होने के बाद अब केवल सुरक्षाकर्मी की नौकरी की ओर नहीं देखना पड़ेगा। वे नौकरी में रहते और अपने सेवा के अंतिम चरण में केवल एक साल में जामिया से स्नातक की डिग्री हासिल कर उन तमाम जगहों पर आवेदन कर सकेंगे जो स्नात्तक स्तर की योग्यता होती है। सेना का अनुभव और जामिया की डिग्री उन्हें असानी से बेहतर जीवन की राह पर ले जाएगी।
योजना के पहले साल ही इस सत्र में अबतक 5000 से ज्यादा जवानों ने आवेदन किए हैं। इतना ही नहीं एअर फोर्स और नेवी की तरह थल सेना भी अपने जवानों को इस पहल से जोड़ना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक, इस बाबत एक समझौता पत्र तैयार किया जा रहा है। संभवतया थल सेना के जांबांजों को पढ़ाई की यह सुविधा अगले सत्र से मिल सकेगी। विश्वविद्यालय के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘12वीं पास कर फौज से जुड़ना, पंद्रह से बीस साल देश के सबसे बेहतर संगठन में देना, बेहतर प्रदर्शन करना, वहां तमगा लेना अपने आप में एक योग्यता है’!
यह पहल अनायास नहीं है। सेना में 12वीं पास भी भर्ती होती है। अमूमन 18-20 सालों में जवान भर्ती होते हैं। कुछ मामलों में 15 साल तो कुछ खास मामलों में 20 साल की सेवा के बाद वह सेवानिवृत्त होता है। इसके अलावा सेना के शार्ट सर्विस कमीशन के भी अपने नियम और शर्ते हैं। जवान अपने कार्यकाल में एक-दो प्रोन्नति पा लेता है। लेकिन जब वह सेवानिवृत्त होता है तो उसकी उम्र 35-38 तक होती है। इसे विडंबना कहिए या सेना की जरूरत जिस उम्र में आज का युवा अपने करियर को परवान चढ़ाता है उस उम्र में ये जांबाज घर को लौट आते हैं। ऐसे में उन्हें जीवन की दूसरी पारी खेलनी होती है।
स्नातक न होने की वजह से आम तौर पर सुरक्षाकर्मी की नौकरी करते हैं। इस समय सबसे बड़ी समस्या स्नातक न होना होती है। ज्यादातर भर्तियों की न्यूनतम योग्यता स्नातक ही है। यहां बता दें कि कई भर्तियों में सेवानिवृत्त जवानों को उम्र में 5 से 10 साल तक की छूट मिलती है। लेकिन ग्रेजुएट न होने की वजह से वे वहां आवेदन नहीं कर पाते। सीमा पर जूझते जवानों के लिए सेवाकाल में पढ़ाई असंभव नहीं तो कठिन जरूर है। जामिया के एक प्रोफेसर ने कहा-जामिया इसका समाधान देगा। जाबांज इस योजना के तहत केवल बीए ही नहीं, बी कॉम , बीबीए और बीसीए भी कर सकेंगे।