गुजरात की गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले की सुनवाई कर रही स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार (17 जून) को केस से जुड़ी कई बातें सामने रखीं। स्पेशल कोर्ट के जज पीबी देसाई ने अपने फैसले में कुल 24 दोषियों में से 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इनके अलावा एक को 10 साल की सजा और बाकी 12 को 7 साल की सजा सुनाई गई है।

फैसले में लिखा था कि दंगा करने वाली भीड़ दोपहर 1:30 बजे सोसायटी में घुसी थी। देसाई के फैसले के मुताबिक, भीड़ ने कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी के घर और बाकी समान में आग लगाई थी और फिर वे अहसान जाफरी को घर से बाहर खींचकर लाए थे। इसके बाद भीड़ ने जाफरी को इस बेरहमी से जलाया कि उनकी बॉडी का कोई नामोनिशान भी नहीं मला।

अहसान जाफरी के कत्ल में जिन लोगों को दोषी बताया गया है उनमें केबल का काम करने वाला नरान टंक उर्फ चैनलवाला शामिल था। चैनलवाला के साथ सात और लोग इस कत्ल में शामिल थे। फैसले के मुताबिक, कृष्णा नाम के शख्स ने एहसान जाफरी को पीछे से पकड़ा था। फैसले में पीबी देसाई ने यह तो माना की यह हत्याकांड सांप्रदायिक था, पर योगेंद्र शेखावत समेत तीन लोगों पर लगे रेप और कत्ल के आरोपों को कोर्ट ने नकार दिया।

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वहीं दूसरी तरफ सजा सुनाए जाने के बाद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने कहा, ”मैंने मासूम लोगों का बेरहमी से कत्‍ल होते देखा है, कोर्ट ने नहीं। मैं फैसले से खुश नहीं हूं क्‍योंकि सभी दोषियों को उम्रकैद होनी चाहिए। वे पूरी तैयारी के साथ आए थे और मासूम लोगों पर हमला किया। लड़ाई अभी भी जारी है और न्‍याय मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी।

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28 फरवरी 2002 को हजारों की हिंसक भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था। गुलबर्ग सोसायटी में सिर्फ एक पारसी परिवार के अलावा बाकी सभी मुस्लिम रहते थे।