आॅनलाइन की राह पर दाखिले को दौड़ाने वाला दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) गुरुवार को बेबस दिखा। दाखिले के पहले दिन ही सर्वर डाउन हो गया। छात्रों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। पहली कटआॅफ लिस्ट जारी होने के बाद छात्र संबंधित कॉलेजों में पहुंचे थे। बुधवार रात को डीयू की वेबसाइट घंटों क्रैश रही। विश्वविद्यालय यह नहीं सोच सका कि कम से कम ढाई लाख आवेदक और उनके अभिभावकों की कटआॅफ के बाबत उत्सुकता को आॅनलाइन कैसे संभाला जाएगा!
समय पाबंदी और तकनीक के कवायदगार माने जाने वाले विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तरुण दास की ओर से पहली कटआॅफ मीडिया में बुधवार रात ग्यारह बजे के बाद जारी की गई। अगर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलने वाला दफ्तर चुस्त होता तो मीडिया में कटआॅफ समय पर जारी होते और अपेक्षाकृत ज्यादा छात्रों तक पहुंचता।
कुलपति प्रोे योगेश त्यागी के कार्यकाल का यह पहला दाखिला सत्र है। उन्होंने आते ही सबसे पहला काम विश्वविद्यालय को हाईटेक करने का किया। पहली बार परास्नातक और फिर स्नातक के दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह आॅनलाइन की गई। दीगर है कि इस बार पिछले साल की तुलना में कम आवेदन आए हैं। विश्वविद्यालय का एक वर्ग इसकी एक वजह दाखिले की प्रक्रिया का पूरी तरह आॅनलाइन होना बता रहा है। यह प्रशासनिक चर्चा व शोध का विषय हो सकता है। लेकिन गुरुवार को जिस तरह छात्रों का हुजूम उमड़ा उसे संभाल पाने में तंत्र नाकाम रहा। यह अलग बात रही कि विश्वविद्यालय लंबी कोशिश के बाद इसे संभालने का दावा किया है। जमीनी सच्चाई यह है कि दाखिले के पहले दिन ही विश्वविद्यालय की वेबसाइट क्रैश होने से दाखिले की संपूर्ण प्रक्रिया को आॅनलाइन बनाने के डीयू प्रयासों को गुरुवार को तगड़ा धक्का लगा।
विश्वविद्यालय ने बुधवार देर रात पहली कटआॅफ की घोषणा की थी और आवेदनकर्ताओं को पहले सूची देखनी थी और तब नामांकन के पोर्टल पर कोर्स और कॉलेज चुनना था ताकि दाखिले की पर्ची मिल सके। इसके अंत में पर्ची एवं अन्य दस्तावेज के साथ संबंधित कॉलेज से संपर्क करना था। छात्रों ने कहा कि आॅनलाइन दाखिले की पर्ची प्राप्त करना जटिल प्रक्रिया साबित हुई है। कुछ ने पंजीकरण किया लेकिन उसका प्रिंट नहीं ले पाए क्योंकि तब तक पोर्टल क्रैश कर गया। कुछ ने फोन से स्क्रीन का फोटो भी लिया लेकिन अधिकारी इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। एसआरसीसी कॉलेज में बीकॉम में दाखिला लेने पहुंची एक छात्रा ने कहा कि वेबसाइट काम नहीं कर रही है और मैं कॉलेज इस उम्मीद के साथ गई कि वे मुझे दाखिले की इजाजत देंगे क्योंकि मैं पात्र हूं। लेकिन उन्होंने कहा कि पर्ची जरूरी है।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे की जानकारी है और इस समस्या पर ध्यान दे रहे हैं। डीन (छात्र कल्याण) जेएम खुराना ने सफाई दी कि दाखिले का पहला दिन होने की वजह से छात्र परेशान थे। उनके भीतर की यह स्वाभाविक हड़बड़ाबट थी। उन्हें लग रहा था कि कटआॅफ में नाम होने के बावजूद इन परेशानियों की वजह से सीट हाथ से न निकल पाए। शायद यही वजह से वे भारी संख्या में साइट पर पहुंच गए और सर्वर डाउन हो गया।
हालात तो कुछ ऐसे हो गए कि एक-एक छात्र को आॅनलाइन कॉलेज रजिस्ट्रेशन के लिए घंटों तक साइबर कैफे में लाइन लगाकर इंतजार करना पड़ा। पहली कटआॅफ में नाम आने से खुश थे लेकिन दाखिले के लिए परिसर पहुंचते ही इनकी खुशी गायब हो गई। दरअसल इस साल कटआॅफ में नाम आने के बाद छात्रों को पहले आॅनलाइन कॉलेज रजिस्ट्रेशन करना था, लेकिन सर्वर डाउन होने से इसमें दिक्कत आई। इसके अलावा कई कॉलेज में आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन और फीस जमा करने के इंतजाम के न होने से खासी परेशानी हुई। छात्र और अभिभावक दिन भर परेशान रहे। रही सही कसर यूजीसी की प्रोन्नति नीति के विरोध में शिक्षकों ने दाखिला प्रक्रिया का बहिष्कार करके कर दिया। डूटा ने तीन दिन तक दाखिला प्रक्रिया का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
दाखिला खिड़की गैर शैक्षणिक कर्मचारियों ने संभालीं, लेकिन वे कटआॅफ को आंकने में उलझ गए। इक्का-दुक्का दाखिला हुआ। मसलन मोतीलाल में हिंदी व अंग्रेजी में एक-एक छात्र की दोपहर तक दाखिला पर्ची कट पाई थी।
डूटा दो महीने से एपीआइ रोल वापसी की मांग को लेकर आंदोलनरत है। सबसे ज्यादा कटआॅफ तय करने वाले रामजस कॉलेज के प्राचार्य राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि पहला दिन होने की वजह से ज्यादा छात्र पोर्टल पर आए। इसकी वजह से सर्वर थोड़ी देर के लिए डाउन हो गया। हालांकि बाद में स्थिति को सुधार लिया गया।