दलितों पर बर्बर हमले के संबंध में गुजरात के ऊना का दौरा करने वाले तथ्यान्वेषी दल ने स्वयंभू गौ संरक्षण समूहों के बीच एक नई प्रवृत्ति खोजने का दावा किया है कि वे अपनी दिलेरी दिखाने के लिए एक विशेष दलित समुदाय को निशाना बनाते हैं क्योंकि वे ‘आसान निशाना’ हैं। गिर-सोमनाथ जिले के मोटा समढियाला में सात दलित युवकों को पिछले सप्ताह पीटे जाने की घटना के बाद राज्यभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए हैं। सात युवकों के आत्महत्या की कोशिश करने पर प्रदर्शन बुधवार (20 जुलाई) को और उग्र हो गए। राज्य के विभिन्न स्थानों पर हिंसा और आगजनी की घटनाएं हो रही हैं।
आठ सदस्यीय तथ्यान्वेषी दल में दलित अधिकार मंच समेत शहर के विभिन्न एनजीओ के दलित शामिल हैं। दल कुछ दिन पहले यहां से गांव गया था। दल ने पाया कि यह घटना बहुत बर्बर है। युवकों को सुबह साढ़े नौ बजे पीटना शुरू किया गया और उन्हें अपराह्न डेढ़ बजे तक पीटा जाता रहा तथा पीड़ितों के परिजनों ने बार-बार पुलिस को बुलाया लेकिन पुलिस ने कथित रूप से कोई कार्रवाई नहीं की।
टीम के सदस्यों ने बताया कि दलित इन समूहों के लिए ‘आसान निशाना’ हैं। वास्वत में, दलित गोहत्या में शामिल नहीं हैं, बल्कि वे केवल चमड़े का अपना पारंपरिक कारोबार कर रहे हैं जबकि वे (स्वयंभू गोरक्षा समूह) गोवध में शामिल लोगों का सामना करने से बचते हैं।