चीन ने सोमवार (25 जुलाई) को स्पष्ट कूटनीतिक जीत हासिल करते हुए दक्षिणपूर्व एशिया के मुख्य संगठन आसियान को दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में क्षेत्रीय विस्तार के मुद्दे पर आलोचना करने से रोक दिया जबकि इस संगठन के कुछ सदस्य बीजिंग की कार्रवाई के पीड़ित हैं। लंबी सौदेबाजी के बाद, आसियान के 10 सदस्यों ने कमजोर तरीके से आलोचना की और इससे खुद के एकजुट होने का दावा करने वाले इस संगठन में गहरा विभाजन उजागर हो गया। वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में आसियान के विदेश मंत्रियों ने सिर्फ इतना कहा कि वे दक्षिण चीन सागर में ‘हालिया और जारी घटनाक्रम पर गंभीर रूप से चिंतित बने’ हैं। बयान में घटनाक्रम को लेकर चीन का नाम नहीं लिया गया।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें फिलीपीन और चीन के बीच एक विवाद में एक अंतरराष्ट्रीय पंचाट के हालिया फैसले का जिक्र तक नहीं किया गया। इस फैसले में कहा गया था कि दक्षिण चीन सागर में चीन का दावा अवैध है और फिलीपीन न्यायोचित रूप से पीड़ित पक्ष है। चीन ने पंचाट के फैसले को गलत बताते हुए उसे खारिज कर दिया है और कहा था कि हेग के पंचाट के पास फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं है। चीन फिलीपीन से सीधी बातचीत चाहता है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका के संदर्भ में कहा कि पंचाट का फैसला ‘गलत दवा की खुराक तय करने के बराबर है और ऐसा लगता है कि क्षेत्र के बाहर के कुछ देशों ने सारा काम करवाया और तेज बुखार बनाए रखा।’
उन्होंने आसियान के मंत्रियों की साथ 90 मिनट की बातचीत के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अगर नुस्खा गलत है तो किसी बीमारी के इलाज में मदद नहीं करेगा। इसलिए हम क्षेत्र के अन्य देशों से तापमान कम रखने का अनुरोध करते हैं।’ वांग ने कहा कि तबरीबन 80 फीसद वक्त आसियान-चीन रिश्तों पर चर्चा में लगाया गया जबकि सिर्फ 20 फीसद वक्त दक्षिण चीन सागर पर। पत्रकारों ने सवाल जवाब का 80 फीसद वक्त दक्षिण चीन सागर पर लगाया। उन्होंने कहा कि चीन और आसियान दोनों का मानना है कि विषय बदला जाना चाहिए और तापमान घटाया जाना चाहिए। चीन कंबोडिया और कुछ हद तक लाओस की मदद से आसियान में अपने कदम को आगे बढाने में कामयाब रहा। दोनों देश चीन के करीबी दोस्त हैं। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘हम दक्षिण चीन सागर में और उसके ऊपर नौवहन की आजादी, शांति, सुरक्षा और स्थिरता को कायम रखने तथा इसे बढावा देने के महत्व को दोहराते हैं।’