अजमेर स्थित सूफी ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में करीब नौ साल पहले हुए धमाका मामले में दोषी पाये गये भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को 22 मार्च को सजा सुनायेगी। विशेष न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने सजा सुनाने के लिए 22 मार्च की तारीख तय की है। भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता न्यायालय में मौजूद थे। बचाव पक्ष के वकील ने यह जानकारी दी।

न्यायालय ने पिछली सुनवाई के बाद दोषियों को सजा सुनाने के लिए 18 मार्च की तारीख तय की थी। दोषियों की सजा तय करने के मुद्दे पर शनिवार बचाव और सरकारी पक्ष के अधिवक्ता ने अपने-अपने तर्क रखे।

एनआईए इस मामले में तेरह आरोपियों के खिलाफ चालान पेश कर चुका है। इनमें से आठ आरोपी साल 2010 से न्यायिक हिरासत में बंद हैं। न्यायिक हिरासत में बंद आठ आरोपी स्वामी असीमानंद,हर्षद सोलंकी, मुकेश वासाणी, लोकेश शर्मा, भावेश पटेल, मेहुल कुमार,भरत भाई, देवेन्द्र गुप्ता हैं। एक आरोपी चन्द्र शेखर लेवे जमानत पर है। पिछली सुनवाई में देवेंद्र और भावेश दोनों पर 1—1 लाख रुपए का आर्थिक जुर्माना लगाया जा चुका है।

हाल ही में न्यायालय 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह परिसर में हुए बम विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद समेत सात आरोपियों को पहले ही संदेह का लाभ देते हुए बरी कर चुका है। बम धमाके में 3 जायरीनों की मौत हो गई थी और 15 अन्य घायल हो गये थे। बम विस्फोट मामले के तीसरे दोषी सुनिल जोशी की मौत हो चुकी है।

गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर की मशहूर सूफी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के अहाता-ए-नूर के पास शाम करीब 6 बजे रोजेदार रोजा खोलने जा रहे थे। इस दौरान वहां जोरदार बम धमाका हुआ। धमाके में 3 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 15 अन्य घायल हुए थे। जांच के बाद मालूम हुआ कि धमाके के लिए दरगाह में दो रिमोट बम प्लांट किए गए थे, लेकिन इनमें से एक ही फटा जिससे भारी जनहानि नहीं हुई।