उत्तराखंड के लोग नौ साल पहले 13 जून 2013 को आई केदारनाथ आपदा को अभी तक नहीं भूले हैं। अभी भी कई परिवार आपदा के दर्द को बयां करते हैं। भले ही इस साल गर्मियों के मौसम में उत्तराखंड के चार धामों में आने वाले तीर्थयात्रियों के सभी रेकार्ड टूट गए और चारों धामों के दर्शन के लिए बड़ी तादाद में तीर्थ यात्री आए हैं और लगातार आ रहे हैं।
चारों धामों में इस साल भले ही तीर्थ यात्रियों की रौनक रही हो, परंतु स्थानीय निवासियों में अभी भी 2013 की आपदा के जख्म हरे हैं। केदार घाटी के लोग आपदा को याद करके सिहर उठते हैं। केदारनाथ से 50 किलोमीटर पहले रुद्रप्रयाग जिले में बांसवाड़ा गांव में स्थित मंदाकिनी नदी के किनारे स्वामी अवशेषानंद महाराज का गीता कुटीर आश्रम ,अन्न क्षेत्र, संत निवास और मां सिद्धेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है। स्वामी बताते हैं कि 2013 में 12 जून को उनके आश्रम का स्थापना दिवस समारोह चल रहा था। अगले दिन 13 जून की रात को आई भीषण बाढ़ ने उनके आश्रम के कई कमरे और मां सिद्धेश्वरी देवी का भव्य मंदिर अपनी चपेट में ले लिया। देखते ही देखते सब कुछ मंदाकिनी नदी में बह गया गया। उनके आश्रम की सात नाली जमीन मंदाकिनी नदी में समा गई।
श्रीनगर गढ़वाल के हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एमएम सेमवाल का कहना है कि चारधाम यात्रा में नौ साल पहले 13 जून को आई भारी तबाही ने चारधाम की यात्रा और पहाड़ के पर्यटन व्यवसाय को बुरी तरह तबाह कर दिया था, जो इस साल चारधाम की यात्रा के लिए तीर्थ यात्रियों की भारी तादाद के उत्तराखंड आने से फिर से पटरी पर आया है। उन्होंने कहा कि चारधाम आल वेदर रोड और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग बनने से इस क्षेत्र का पर्यटन और धार्मिक दोनों दृष्टि से महत्त्व और अधिक बढ़ जाएगा।
रोजगार के अवसर और ज्यादा बढ़ेंगे और पलायन रुकेगा।उन्होंने कहा कि जाड़ों में उत्तराखंड में सन टूरिज्म यानी सूर्य पर्यटन बढ़ रहा है। देश के मैदानी क्षेत्रों में सर्दियों में अधिकांश कोहरा रहता है। मैदान के लोग तुंगनाथ, चोपता उखीमठ जैसे आकर्षित पहाड़ी पर्यटन केंद्रों में सूर्य का प्रकाश तापने के लिए आते हैं।
केदारनाथ यात्रा से लौटे उत्तर प्रदेश के कानपुर के श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के साधु बाबा रामानंद गिरि का कहना है कि अब चारधाम में भीड़ पहले के मुकाबले कम है। आसानी से दर्शन हो रहे हैं। केदारनाथ के दर्शन करके लौटे बाबा जगदीश गिरि का कहना है कि केदारनाथ में व्यवस्थाएं पहले से अच्छी हैं। केदारनाथ मंदिर परिसर के नव निर्माण होने से दर्शन करने में आसानी रहती है।
बदरीनाथ और केदारनाथ को जाने वाला सड़क मार्ग ऋषिकेश से आगे पहले के मुकाबले बहुत चौड़ा होने से वाहनों की आवाजाही में दिक्कत नहीं होती। ऋषिकेश केदारनाथ मार्ग केवल अगस्त्यमुनि से आगे भारी बारिश के आने से थोड़ा- सा खराब हो गया था और उससे आगे रास्ता गुप्तकाशी और गौरीकुंड तक ठीक है।
हरियाणा से आई पूनम अरोड़ा कहती हैं कि उत्तराखंड में चारधाम मार्ग में सड़कों का चौड़ीकरण काफी तेजी से हुआ है जिससे यात्रा सरल और सुलभ हुई है। केदारघाटी में दोपहर बाद बारिश होने से ठंड बढ़ जाती है। गंगा नदी में रिवर राफ्टिंग के प्रमुख केंद्रों कोडियाला और शिवपुरी में पर्यटकों की भीड़ हो रही है। कोरोना के बाद अब रिवर राफ्टिंग का व्यवसाय फिर से पटरी पर लौटा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 13 जून तक चारधाम यात्रा में 20 लाख, 75 हजार, 433 तीर्थयात्री बदरीनाथ ,केदारनाथ, गंगोत्री ,यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए आ चुके हैं और इन तीर्थयात्रियों का लगातार आना जारी है। इस साल तीन मई से यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने से चारधाम यात्रा की शुरुआत हुई थी। छह मई को केदारनाथ और आठ मई को बदरीनाथ के कपाट खुले थे।
13 जून तक चारों धामों में 19 लाख, 92 हजार, 424 तीर्थयात्री दर्शन के लिए आ चुके हैं, जबकि हेमकुंड साहिब के लिए अब तक 83 हजार 19 यात्री आ चुके है। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद आठ मई से 13 जून तक 6 लाख, 89 हजार, 729 तीर्थयात्री पहुंचे हैं। केदारनाथ धाम में 6 मई से 13 जून तक 6 लाख, 66 हजार, 901 तीर्थयात्री आ चुके हैं। गंगोत्री धाम में तीन मई से 13 जून तक 3 लाख, 62 हजार, 243 तथा यमुनोत्री धाम के लिए तीन मई से कपाट खुलने के बाद अब तक 2 लाख, 73 हजार, 551 तीर्थयात्री आ चुके हैं।