अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दुनिया के जाने माने नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशात्री अमर्त्य सेन और प्रभात पटनायक ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव भारत के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव से स्पष्ट होगा कि भारत दक्षिणपंथी कट्टर-राष्ट्रवाद की ओर आगे बढ़ेगा या पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए आर्थिक एवं सामाजिक विषमताओं को पाटने के लिए आगे आएगा। कार्यक्रम में दोनो अर्थशास्त्रियों ने कहा कि मोदी सरकार के विगत पांच साल के कार्यकाल में कई तरह के ‘भटकाव’ देखने को मिले हैं। जिसका सीधा असर देश की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा है। इनका आरोप था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में ‘चमत्कार’ की एक परिभाषा गढ़ी गई और झूठतंत्र के जरिए लोगों की मानसिकता को बदलने की कोशिश की गई।

‘द वायर’ के हवाले से छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कार्यक्रम में पटनायक ने मोदी सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा, “बीते पांच सालों में ‘स्टेट टेररिज्म’ और ‘स्ट्रीट टेररिज्म’ (राज्य एवं गली-कूचों द्वारा समर्थित आतंकवाद) ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का काम किया है।” प्रभात पटनायक ने कहा कि उग्र राष्ट्वाद की वजह से भारत का मुसलमान और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के लोग खुद को दूसरी श्रेणी का नागरिक मानने लगे हैं। साथ ही सरकार और उद्योगपतियों के बीच की करीबी भी कम आश्चर्यजनक नहीं है।

वहीं, नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने देश की आर्थिक एवं समाजिक प्रगति के लिए विषमताओं को काफी हद तक जिम्मेदार माना। उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि भारत की जनता मोदी के आने से पहले ज्यादा खुश थी। तब भी समाज में काफी विषमताएं थीं। विषमताओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया और इसे सामान्य जीवन का हिस्सा बना दिया गया। हालांकि, विषमताओं को लेकर कुछ हद तक शर्म बची थी, जिसकी वजह से काफी हद तक इसे कम किया गया।” सेन ने कहा कि मोदी सरकार की कार्यशैली को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला है ‘मुसलमान विरोधी’ और दूसरा है ‘चमत्कार’। ये दोनों ही पहलू मोदी सरकार के अभिन्न अंग हैं।