दिग्गज पत्रकार मार्क टुली ने कहा है कि भारत के मुसलमान इस्लामिक देशों में रहने वाले मुसलमानों की तुलना में ज्यादा खुशकिस्मत हैं, क्योंकि वे इस्लाम की हर पद्धति के तहत अपनी इबादत करने के लिए स्वतंत्र हैं। एक उदाहरण का हावाला देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तब्लिगी जमात का मुख्लाय है और यहीं पर सूफी परंपरा से जुड़े निजामुद्दीन औलिया की दरगाह भी है। तबलीगी जहां बहुत ही ‘सख्त एवं रूढ़िवादी’ हैं। वहीं, सूफी  निजामुद्दीन औलिया की कब्र पर प्रार्थना करते हैं और कव्वालियां गाते हैं।

मार्क टुली ‘ने इक्वेटर लाइन पत्रिका’ के नवीनतम अंक ‘होम एंड द वर्ल्ड’ में कहा है, “भारत की सहिष्णुता की भावना ही उसकी ताकत है, जो विभिन्न धर्मों के लिए एक साथ मिलकर एक अलग वातावरण बनाती है।” टुली के मुताबिक भारत बेहद ही अनोखा और सभी धर्मों की एक-स्थली है। वह कहते हैं, “भारत के पास अध्यात्मिकता है। आज की बात करें तो यहा पर धर्म एक दूसरे से काफी भिन्न हैं। भारत का मुसलमान इस्लामिक देशों में रहने वाले मुसलमानों से काफी ज्यादा खुशकिस्तम हैं, क्योंकि भारत में वे इस्लाम के किसी भी पद्धति के तहत अपनी इबादत कर सकते हैं।”

मैग्जिन के इस अंक में ब्रिटेन के टिम ग्रांडेज का भी लेख छपा है। ग्रांडेज 32 साल पहले कोलकाता में एक बैंकिंग अधिकारी के रूप में आए। उन्होंने बाद में अपनी नौकरी छोड़ दी और झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए काम करने लगे। उन्होंने एक धर्मार्थ संस्था ‘फ्यूचर होप’ भी बनाई। उन्होंने लिखा है कि वे बच्चों के लिए काम करते हुए विश्वास, देखभाल, प्रतिबद्धता और सहिष्णुता को सीखा।