उत्तर प्रदेश से चुने गए 2,700 से अधिक उम्मीदवारों को पिछले दो सालों में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा जारी विज्ञापनों के माध्यम से इज़रायल में कुशल श्रमिकों को भेजने की एक सरकारी योजना के लिए चुना गया था। इस सबके बीच 376 उम्मीदवारों का आरोप है कि उन्हें फ्लाइट टिकट के लिए पैसे देने के बावजूद कथित तौर पर नजरअंदाज कर दिया गया जबकि बाद के बैचों में चुने गए अन्य उम्मीदवारों को तेल अवीव भेज दिया गया। ऐसे में 27 उम्मीदवारों ने भारत-इजरायल संबंधों को दर्शाने वाली इस योजना के कार्यान्वयनकर्ता एनएसडीसी के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर भेदभाव का आरोप लगाया है।
इस साल सितंबर में दायर याचिका में कहा गया है, “अधिकारियों द्वारा इजरायल में उम्मीदवारों को भेजने के लिए मनमानी नीति अपनाई गई है जो अवैध है। याचिकाकर्ताओं को प्रतिवादियों (एनएसडीसी) द्वारा धोखा दिया गया है।” याचिका में आवेदन पत्र और इजरायल के टिकटों के लिए किए गए भुगतान की एनएसडीसी की रसीदें भी शामिल हैं। इंडियन एक्सप्रेस की सितंबर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों के लिए इस रोजगार योजना को अक्टूबर 2023 में हमास के हमले के बाद शुरू किया गया था।उस दौरान फिलिस्तीनी श्रमिकों को इजरायल में निर्माण स्थलों पर काम करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
2024 के अंत तक भारत से लगभग 5000 श्रमिकों को इजरायल भेजा गया
इसके बाद से इजरायल ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए इन श्रमिकों को गैर-निर्माण क्षेत्रों में अकुशल या औद्योगिक नौकरियों में फिर से तैनात करने की अनुमति दी है। 2024 के अंत तक, लगभग 5,000 श्रमिकों को सरकार से सरकार (G2G) मार्ग के माध्यम से और इतनी ही संख्या में श्रमिकों को व्यवसाय से व्यवसाय (B2B) मार्ग के माध्यम से भेजा गया था। इज़रायल द्वारा इन श्रमिकों के लिए अन्य क्षेत्रों को खोलने के साथ, इस वर्ष यह संख्या बढ़ने की संभावना है।
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उत्तर प्रदेश के याचिकाकर्ताओं ने उन आवेदकों की सूचियां भी संलग्न की हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ किए जाने के बाद, अधिकतर अक्टूबर 2024 में तेल अवीव जाने वाली उड़ानों में बैठाया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन श्रमिकों ने साक्षात्कार, योग्यता परीक्षण, चिकित्सा परीक्षण और पुलिस सत्यापन जैसी सभी प्रक्रियाएं सफलतापूर्वक पूरी कर ली थीं।
गहने गिरवी रख और उधार लेकर श्रमिकों ने जुटाया पैसा
श्रमिकों के वकील अशोक कुमार द्विवेदी का कहना है कि अब तक केवल एक ही सुनवाई हुई है। द्विवेदी कहते हैं, “पिछली तीन-चार सुनवाइयों में मामला सुनवाई सूची में इतनी देर से दर्ज हुआ कि उस पर सुनवाई नहीं हो पाई। हमें अपनी जीत का पूरा भरोसा है क्योंकि हमारी प्रार्थना सीधी-सादी है, अगर इज़रायल के लिए नौकरी का अनुबंध 5 साल का है और याचिकाकर्ताओं को पहले ही एक साल से ज़्यादा का नुकसान हो चुका है, तो उन्हें पूरे 5 साल का अनुबंध दिया जाना चाहिए।”
18 महीने पहले, आज़मगढ़ के राजमिस्त्री गौतम चौहान (28) ने अपनी बहन के सोने के गहने गिरवी रखकर और अपने परिवार की आधी एकड़ ज़मीन बंधक रखकर इज़रायल में मज़दूर के रूप में काम करने के लिए 68,800 रुपये जुटाए थे। वह अभी तक उस फ्लाइट पर सवार नहीं हो पाए हैं। फतेहपुर के रहने वाले 45 वर्षीय फोरमैन छेदी लाल ने भी इसी कारण से अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखे। वे कहते हैं, “मेरे बाद साक्षात्कार और परीक्षा पास करने वाले मेरे जिले के कई अन्य मजदूर 2024 के अंत में चले गए। मुझे अभी तक वर्क वीजा नहीं मिला है।” चौहान और लाल उत्तर प्रदेश से चुने गए 2,700 से अधिक उम्मीदवारों में शामिल हैं, जिन्हें इस सरकारी योजना के लिए चुना गया था।
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23 दिसंबर को एनएसडीसी ने अपनी वेबसाइट पर एक नोटिस जारी कर घोषणा की कि जिन चयनित उम्मीदवारों को इज़रायल नहीं ले जाया जा सका, उन्हें धन वापसी की सुविधा उपलब्ध होगी। वहीं, फंसे हुए कामगारों का कहना है कि उन्हें धन वापसी नहीं चाहिए। वे अपने परिवार के गुस्से और अपने ऋणों और पर बढ़ते ब्याज की शिकायत करते हैं। आजमगढ़ के एक राजमिस्त्री मनोज चौहान (45) ने कहा, “हमें इजरायल में सुरक्षा की चिंता नहीं है क्योंकि जो लोग वहां जा चुके हैं उन्होंने बताया है कि वे सुरक्षित हैं और हवाई हमलों की स्थिति में भूमिगत बंकरों में रहने के आदी हो गए हैं।”
