गुजरात में एक मृत गाय का चमड़ा निकालने वाले दलितों पर हमले को लेकर जारी गतिरोध के बीच केंद्र ने भाजपा शासित गुजरात और छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराधों में विसंगति व अचानक वृद्धि का जिक्र किया है और वहां के प्रशासन से जानकारी मांगी है।
गुजरात और छत्तीसगढ़ में पिछले साल के दौरान अनुसूचित जाति के सदस्यों के खिलाफ उच्चतम अपराध दर 163.30 फीसद (6655 मामले) और 91.90 फीसद (3008 मामले) की जानकारी सामने आई है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से गुरुवार को यहां आयोजित ‘मॉनिटरिंग द इंप्लीमेंटेशन आफ कान्स्टीट्यूशनल सेफगार्ड्स फॉर शिड्यूल्ड कास्ट्स’ के एजंडा कागजात के अनुसार गुजरात और छत्तीसगढ़ के संबंध में असंगति व अचानक वृद्धि असामान्य है और इसे जिक्र किया जा रहा है ताकि अगर जानकारी मुहैया कराने में कोई गलती हुई है तो ये राज्य वास्तविक डेटा मुहैया कराएं।

कागजात में कहा गया है कि गुजरात और छत्तीसगढ़ में जहां 2013 में ऐसे 1190 और 242 अपराधों की जानकारी सामने आई थी। ये उन राज्यों में शामिल हैं जिन पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 2013, 2014 और 2015 के दौरान अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ अपराधों की दर उच्च रही है।

उत्तर प्रदेश में पिछले साल कुल 8946 मामलों की जानकारी मिली थी। जबकि 2014 और 2013 में 8075 और 7078 घटनाएं हुई थीं। राजस्थान में 2015 में ऐसे 7144 मामले सामने आए। जबकि 2014 में 8028 मामले और 2013 में 6475 मामले सामने आए हंै।
यह मुद्दा दिन भर चली बैठक के दैरान उठाया गया। बैठक में विभिन्न राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक का उद्घाटन करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने भी माना कि आरक्षित वर्ग के लोगों के खिलाफ अत्याचार के आपराधिक मामलों में वृद्धि हुई है।