कृमि खाद को मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने, पर्यावरण को सुरक्षित रखने, फसल पैदावार में वृद्धि और गुणवत्ता के साथ ही आमदनी का साधन भी बनाया जा सकता है। इस बात को व्यावहारिकता में कर दिखाया जिला मंडी की मंदाकिनी शर्मा और प्रियंका भारद्वाज ने। जिला मंडी के द्रंग क्षेत्र के प्राचीन गांव नगरोटा की मंदाकिनी शर्मा और प्रियंका भारद्वाज का आम जीवन उस समय खास हो गया, जब उनका स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने का सपना मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना से साकार हुआ। मंदाकिनी शर्मा ने उद्योग विभाग से मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत कृमि खाद बनाने के लिए 7 लाख रुपए का ऋण लिया ।

उन्होंने इस राशि से कृमि खाद तैयार करने वाले विशेष केंचुए तथा अन्य आवश्यक संबंधित सामान खरीद कर कृमि खाद बनाने का कार्य अपनी सहेली प्रियंका भारद्वाज के साथ ‘लक्ष्मी आर्गेनिक’ के नाम से शुरू किया। दोनों सहेलियां अपने घरेलू कार्यों को निपटाने के बाद उपलब्ध समय में से समय बचा कर अपने सपने को हकीकत बनाने में जुट गर्इं।

मंदाकिनी शर्मा के पास अपनी जमीन और पशुधन होने के कारण इस कार्य को करने में सहूलियत हुई । जब घर पर उपलब्ध गोबर खाद बनाने में कम पड़ने लगा तो उन्होंने गांव के अन्य घरों तथा गोशाला से गोबर खरीदना शुरू किया। कृमि खाद बनाने की प्रक्रिया में कुछ और लोगों की मदद की जरूरत होने पर इन्होंने गांव की अन्य महिलाओं को भी इस कार्य में जोड़ा, जिससे दोनों सहेलियों के साथ अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए भी रोजगार के द्वार खुल गए।

कृमि खाद तैयार करने के साथ ही उन्होंने गाय के गोबर से बनी हवन सामग्री बनाने तथा बैग तैयार करने का विचार भी आया, जिसे उन्होंने मूर्त रूप देकर अपनी कमाई में बढ़ोत्त्री की। मंदाकिनी और प्रियंका ने सरकार के सहयोग तथा अपनी मेहनत व लगन से घर बैठे अपनी आमदनी का जरिया तलाशा तथा अन्य महिलाओं को भी कमाई का अवसर प्रदान किया।

दोनों सहेलियां मेहनत से कमा कर आत्म सम्मान व आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हुर्इं तथा अन्य के लिए भी प्रेरणा बनीं। इनके पति भी तकनीकी कार्य में इनका सहयोग कर रहे हैं। किसी भी परिणाम का आधार है कर्म और उसकी पृष्ठभूमि है सोच। मंदाकिनी शर्मा तथा प्रियंका ने यह साबित कर दिखाया कि यदि व्यक्ति ठान ले तो कोई भी परिस्थिति उसे मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती।

इन्होंने खाद तैयार करने के लिए 30.4 के 12 बेड बनाए हैं, जिनमें दो माह तक 400 से 500 किलोग्राम खाद बन जाती है। कृषकों तथा बागवानों के अतिरिक्त लोग रसोई बागवानी तथा गमलों में फूल उगाने के लिए भी ‘लक्ष्मी आर्गेनिक’ से कृमि खाद खरीद रहे हैं। जिससे उन्हें एक अच्छी आमदनी हो रही है।

उद्यमियों का कहना है कि कृमि खाद बनाने के लिए समतल जगह पर एक से डेढ़ फुट उंचा ताजा गोबर फैला कर इसमें केंचुए डाल दिए जाते हैं। सूरज की सीधी रोशनी से बचाने के लिए पराल से ढक दिया जाता है। नमी बनाए रखने के लिए इसे समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाता है। लगभग दो माह के अंतराल में एक प्रक्रिया से गुजरने के बाद कृमि खाद तैयार हो जाती है। जिसे छान कर बेचने के लिए पैक कर लिया जाता है।

कृमि खाद एक ऐसा पर्यावरण मित्र जैविक उर्वरक है, जिसके उपयोग से मिट्टी, हवा तथा जल में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता। इसमें पोषक तत्त्वों की मात्रा भी अधिक होती है। इसके प्रयोग से मिट्टी की भौतिक संरचना में सुधार, पौधों की जड़ों का विकास, पैदावार में वृद्धि, भूमि की उर्वरता तथा पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी, उच्च गुणवत्ता की फसल होती है। जिसका सीधा फायदा किसानों व बागवानों को मिलता है।