केरल से कथित तौर पर सीरिया जाकर कुख्यात संगठन ISIS ज्वाइन करने वाले 15 युवकों में से एक का संदेश आया है। कम्युनिकेशन एप्प टेलीग्राम के जरिए मोहम्मद मारवां ने अपने परिवार से बात की है। बातचीत के दौरान उसने कंफर्म किया कि वह ISIS के क्षेत्र में है। उसने यह भी कहा कि वह तभी वापस लौटेगा जब वह ”IS के साथ मिलकर कश्मीर, गुजरात और मुजफ्फरनगर के मुस्लिमों की मदद का काम खत्म कर लेंगे।” यह साफ करते हुए कि उसने किसी के प्रभाव में आकर यह कदम नहीं उठाया, उसने कहा कि वह अच्छी तरह जानता था कि वह क्या कर रहा है। उसने कहा, ”न तो किसी ने मेरा किसी ने ब्रेनवॉश किया, न ही IS ज्वाइन कराया। मैंने इस्लामिक स्टेट में हो रही प्रगति के बारे में जानकार इस्लाम की लड़ाई के लिए घर छोड़ने का फैसला किया।” मारवां ने एक इंटरनेट एप्प के जरिए जून के आखिरी दिनों में अपने परिवार से बात की थी।
मारवां ने परिवार से कहा, ”यहां अमेरिकी और रूसी सेनाओं के हमले में मुस्लिम, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, रोज मारे जाते हैं। जब मुस्लिम समुदाय पर हमला हो तो मैं घर में कैसे आराम से बैठ सकता हूं। लोग मुझे आतंकवादी कह सकते हैं। अगर अल्लाह के रास्ते पर लड़ाई करना आतंकवाद है, तो हां मैं एक आतंकवादी हूं।” सीरिया की स्थिति के बारे में बताते हुए मारवां ने कहा, ”IS नियंत्रण वाला हिस्सा खराब स्थिति में है। यहां मुस्लिमों के घरों में बिजली तक नहीं है क्योंकि इस्लाम के दुश्मनों ने सबकुछ ब्लॉक कर रखा है। हालांकि लोग यहां खुश हैं क्योंकि उन्हें भरोसा है कि अल्लाह उनके साथ है। फिलहाल हम यहा 24 घंटे जंग के साये में हैं।”
मारवां ने दावा किया कि अगर वह जंग के मैदान में मारा जाता है तो उसे शहीद का दर्जा दिया जाएगा। मारवां ने लिखा, ”इस्लाम के लिए लड़ते हुए शहीद होने वाले को परिवार से 70 लोगाें की दूसरी दुनिया में सिफारिश करने का विशेषाधिकार मिलता है।” इससे पहले इन 15 लोगों में से एक डॉक्टर इजास मुहम्मद ने अपने पेरेंट्स को एक ऑडियो मैसेज भेजकर कहा था कि वे उसकी खोज न करें क्योंकि वह ‘अपनी मंजिल तक पहुंच चुका है।”