कानाडा पढ़ने गए भारत के 700 से अधिक भारतीय छात्रों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है कि उन्हें वहां से निकाल दिया जाएगा। इसकी वजह उनका फर्जी एडमिशन लेटर बताया जा रहा है। छात्रों को हाल ही में कनाडा की सीमा सुरक्षा एजेंसी (सीबीएसए) से निर्वासन पत्र मिला है। अब यह छात्र काफी परेशान हैं और सरकार से इस मामले के समाधान की मांग कर रहे हैं।

समझिए क्या है पूरा मामला? 

इन छात्रों के भविष्य के साथ हुए खिलवाड़ के पीछे बृजेश मिश्रा नाम के एक शख्स का हाथ है। वह जालंधर में मौजूद एजुकेशन माइग्रेशन सर्विसेज का प्रमुख है। छात्रो ने यहीं से स्टडी वीजा प्राप्त किया था। यह वीजा फर्जी पाया गया और अब इन छात्रों को वापस भारत लौटने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

बृजेश मिश्रा कथित तौर पर कई महीनों से अपने कार्यालय में नहीं दिखाई दिया है। उससे जुड़ी तमाम वेबसाइट भी बंद हो गयी हैं जहां छात्र वीज़ा के लिए अप्लाई करते थे। यह पहली बार नहीं है जब मिश्रा पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है। इससे पहले भी उसे 2013 में छात्रों को विदेश भेजने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह अन्य निदेशकों के साथ ‘ईज़ी वे इमिग्रेशन कंसल्टेंसी’ नामक एक कंपनी चला रहा था। पुलिस ने उसके कार्यालय पर छापा मारा था नकदी, पासपोर्ट और छात्रों की फर्जी फाइलें बरामद की थी

जिन छात्रों को कनाडाई सीमा सुरक्षा एजेंसी (CBSA) से निर्वासन पत्र प्राप्त हुआ है। वह बृजेश मिश्रा के जरिए ही कनाडा गए थे। इसके लिए बृजेश मिश्रा ने ओंटारियो के हंबर कॉलेज में प्रवेश शुल्क सहित प्रति छात्र 16 लाख रुपये से अधिक का शुल्क लिया था। हालांकि इन छात्रों को कनाडा पहुँचने पर उन कॉलेज में एडमिशन ही नहीं मिला जिसके लिए उन्हें वहां भेजा गया था।

कैसे सामने आई धोखाधड़ी की बात 

धोखाधड़ी तब सामने आई जब इन छात्रों ने कनाडा में स्थायी निवास (PR) के लिए आवेदन किया, जिसके लिए ‘प्रवेश प्रस्ताव पत्र’ जांच के दायरे में आए। यानी CBSA ने उन दस्तावेजों की जांच की, जिसके आधार पर छात्रों को वीजा जारी किया गया था और यह नकली पाया गया।

इनमें से अधिकांश छात्रों ने पहले ही अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, वर्क परमिट प्राप्त कर लिया है और वर्क एक्सपीरियंस भी प्राप्त कर लिया है। जब उन्होंने PR के लिए आवेदन किया, तभी वे मुश्किल में पड़ गए। यह एजुकेशन फ्रॉड अपनी तरह का अनूठा है जो पहली बार कनाडा में सामने आया। जानकारों ने कहा कि इतनी बड़ी धोखाधड़ी कनाडा में बड़ी संख्या में आवेदन करने वालों का नतीजा है।

अब यह 700 भारतीय छात्र अब ओन्टारियो के मिसीसॉगा स्थित कैनेडियन बॉर्डर सिक्योरिटी एजेंसी (CBSA) के दफ़्तर के बाहर डीपोर्टेशन ऑर्डर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं।