गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में एअर इंडिया के प्लेन में सवार 241 यात्रियों की मौत हो गई। डीजीसीए ने इसे दुनिया का सबसे खराब विमान हादसा बताया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि मुख्य रूप से तीन कारणों – मैकेनिकल फेलीयर, ह्यूमन यानी मानवीय विफलता या फिर रखरखाव विफलता के कारण – की जांच होगी। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा फोकस “इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट अकाउंटेबिलिटी पर रहेगा।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि प्रत्येक कारण की बारीकी से जांच की जाएगी। हादसे की तस्वीरों से साफ़ पता चलता है की दुर्घटना एक कारण से नहीं हुई थी। कई गलतियां साफ दिखाई दे रही है जैसे कि उड़ान कैसे ऊपर उठी और कैसे यह जमीन पर गिर गई। उनके अनुसार, लैंडिंग गियर नीचे रहने से पता चलता है कि पायलट किसी अन्य संकट से निपटने में व्यस्त थे।
क्यों दिया गया मेडे का कॉल?
एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने कहा है कि विमान ने उड़ान भरने के तुरंत बाद ही आपातकाल का संकेत देते हुए “मेडे कॉल” किया। एक पूर्व विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो अधिकारी का सुझाव है कि प्रारंभिक जांच से ऐसा लगता है कि यह एक इंजन के फेल होने और दूसरे सक्रिय इंजन द्वारा पर्याप्त शक्ति उत्पन्न नहीं करने का मामला हो सकता है। उनके अनुसार, एअर इंडिया के हाल ही में हुए विस्तार पर भी विशेष रूप से इस दृष्टिकोण से विचार किया जाएगा कि क्या रखरखाव बेड़े के व्यापक उपयोग के साथ तालमेल बनाए रखता है।
दिलचस्प बात यह है कि DGCA पिछले तीन वर्षों से एयरलाइन को कॉकपिट अनुशासन, उड़ान संचालन और विमानों के रखरखाव में गंभीर चिंताओं का हवाला देते हुए कई चेतावनियां जारी कर रहा है। रिसोर्स मैनेजमेंट (उड़ान संचालन में टीम प्रबंधन अवधारणाएं) और स्विस मॉडल (जटिल प्रणालियों के भीतर कैसे घटनाएं या त्रुटियां होती हैं और उन्हें कैसे रोका जा सकता है, यह समझने के लिए एक रूपरेखा) के मानकों की भी विमानन मंत्रालय द्वारा जांच की जा रही है। 2022 में निजीकरण के समय से ही एअर इंडिया लगातार डीजीसीए की जांच के दायरे में है। वर्तमान में एअर इंडिया विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 350 विमानों का संचालन कर रही है, जिनमें से 27 ड्रीमलाइनर हैं।
इस बीच गुजरात एटीएस ने दुर्घटनास्थल से डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर बरामद किया है और इसे फोरेंसिक जांच के लिए भेज रही है। प्रारंभिक जांच डेटा से पता चलता है कि सिग्नल बंद होने से पहले उड़ान को 625 फीट या 190 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर ट्रैक किया गया था। उस समय विमान 320 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से उड़ कर रहा था।