कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ‘शक्ति स्कीम’ को लेकर बवाल का सामना कर रही है। इसके पीछे की वजह डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के एक बयान को बताया जा रहा है, जिसमें उन्होंने शक्ति स्कीम को लेकर समीक्षा करने की बात कही थी। अब अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार को खुले मंच से तल्ख बातें कह दी। खड़गे ने चेतावनी दी कि अपनी क्षमता से ज़्यादा काम ना लें, कोई भी ऐसा वादा ना करें जिसे पूरा ना कर पाएं। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने कर्नाटक विवाद का हवाला देते हुए झारखंड और महाराष्ट्र जैसे चुनावी राज्यों में अन्य कांग्रेस इकाइयों को चुनावी वादों अच्छे से हिसाब करने और वित्तीय भार को समझने के बाद जनता के बीच रखने के लिए कहा।

क्या बोले मल्लिकार्जुन खड़गे?

खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आपने कर्नाटक में पांच गारंटी का वादा किया था। आपसे प्रेरित होकर हमने महाराष्ट्र में पांच गारंटी का वादा किया। आज आपने उल्लेख किया कि आप उन गारंटियों में से एक को रद्द कर देंगे। ऐसा लगता है कि आप सभी अखबार नहीं पढ़ते हैं, लेकिन मैं पढ़ता हूं, इसलिए मैं आपको यह बता रहा हूं।”

कांग्रेस अध्यक्ष बुधवार को डिप्टी सीएम शिवकुमार की टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे कि राज्य सरकार ‘शक्ति’ योजना पर फिर से विचार करेगी। शक्ति योजना कर्नाटक में कांग्रेस की पांच गारंटियों में से एक है, जिसके तहत कहा गया था कि गैर-लक्जरी सरकारी बसों में महिलाओं को मुफ्त सवारी की पेशकश की जाएगी।

सभी कांग्रेस कार्यकर्तों और राज्य इकाइयों को खड़गे ने चेतावनी दी कि बजट के हिसाब से वादे करें वरना इससे नुकसान हो सकता है और इसका असर भविष्य पर पड़ सकता है। उन्होंने वित्तीय जिम्मेदारी की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि सरकारें अपनी गारंटी को पूरा करने में असमर्थ हैं, तो इससे बदनामी होगी।

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खड़गे ने कहा, “मैंने महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं को सलाह दी है कि वे पांच, छह, सात या आठ गारंटी के वादे न करें। इसके बजाय, ऐसे वादे करें जो आपके बजट के अनुरूप हों। बजट पर विचार किए बिना वादे करने से दिवालियापन हो सकता है। अगर सरकार वादा पूरा करने में विफल होती है, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा। इससे बदनामी हो सकती है और सरकार को अगले दस सालों तक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।”