पांच मई को अमृतसर से दरभंगा के लिए छूटी जननायक एक्सप्रेस 60 घंटे लेट रही। 1500 किलोमीटर की दूरी पूरी करने में ट्रेन ने 32 घंटे की बजाए दोगुना समय लगा दिया। इससे पहले पिछले साल 13 अक्टूबर को यह ट्रेन 71 घंटे लेट हुई थी। जम्मू से कोलकाता के बीच चलने वाली हिमगिरि एक्सप्रेस को सोमवार(सात मई) शाम सुल्तानपुर स्टेशन पर पहुंचना था मगर यह अगले दिन मंगलवार(आठ मई) तक नहीं पहुंची थी।वहीं पिछले ही साल पटना-कोटा ट्रेन 72 घंटे लेट होने का रिकॉर्ड बना चुकी है। यह तो बानगी है, इसी तरह हर रूट पर लगभग ट्रेनें देरी से चल रहीं हैं। जिससे यात्री समय से गंतव्य नहीं पहुंच रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि वे दो से चार घंटे तक तो किसी तरह इंतजार कर लेते हैं, मगर ट्रेनें जब 50 से 60 घंटे लेट होने लगें तो फिर धैर्य जवाब देने लगता है।

काबिलेगौर बात है कि इस दरमियान फ्लैक्सी और प्रीमियम ढांचे के तहत रेलवे ने किराया बढ़ाने के नए-नए तरीके जरूर निकाले, मगर ट्रेनों के समय से संचालन को लेकर उतनी प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।रेलवे की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में करीब 30 प्रतिशत रेलगाड़ियां देरी से चलीं। पिछले तीन वर्षों के बीच भारतीय रेलवे का यह सबसे बुरा प्रदर्शन बताया जाता है।
खास बात है कि अपनी समयबद्धता के लिए पहचान जाने वाली राजधानी, शताब्दी से लेकर मेल एक्सप्रेस गाड़ियां भी देरी का शिकार हो रहीं हैं।सवाल उठने पर रेलवे बोर्ड यह तर्क देकर पल्ला झाड़ लेता है कि जगह-जगह रूट पर अपग्रेडिंग, मॉडर्नाइजेशन और ट्रैकों के रीन्यूअल की प्रक्रिया चल रही है। जिसके कारण मजबूर ट्रेनें लेट हो रहीं हैं।हालाकि रेलवे बोर्ड की ओर से 15 के बाद से ट्रेनों के सुचारु और समय से संचालने की बात कही जा रही है।
पैसेंजर के नाम पर सुपरफास्ट का किरायाः जुलाई 2017 में कैग ने संसद में भारतीय रेलवे की व्यवस्था पर रिपोर्ट पेश की थी। जिसमें नार्थ सेंट्रल और साउथ सेंट्रेल की नमूना जांच में सामने आया कि रेलवे ने कई पैसेंजर ट्रेनों को सुपरफास्ट का दर्जा देकर 11.17 करोड़ रुपये यात्रियों से वसूले, मगर 95 प्रतिशत ट्रेनें देरी से चलीं। बानगी के तौर पर 2013 से 2016 के बीच कोलकाता-आगरा कैंट सुपरफास्ट ट्रेन के संचालन की जांच हुई तो यह ट्रेन 145 में से 138 दिन लेट मिली। 21 सुपरफास्ट ट्रेनें तो 55 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार से भी नहीं दौड़ पाईं। कैग ने देरी पर यात्रियों का किराया लौटाने का भी सुझाव दिया था।देश में कुल 66687 किलोमीटर रूट पर 22.21 मिलियन यात्री भारतीय रेलवे से सफर करते हैं। देश में करीब 7216 स्टेशन हैं।

किराया वापसी की संसद में उठ चुकी है मांगः इस साल जनवरी में राज्यसभा में सांसद पीएल पुनिया ने ट्रेनों के संचालन में देरी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि एक तरफ रेलवे ट्रेनों को सुपरफास्ट का दर्जा देकर करोड़ों रुपये यात्रियों की जेब से वसूल रहा है, दूसरी तरफ ट्रेनें समय से नहीं चल रहीं हैं। उन्होंने कहा था कि या तो शुल्क लौटाया जाए या फिर लिया ही न जाए। जिस पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वर्षों से कायम रेलवे के आधारभूत ढांचे पर समस्या का ठीकरा फोड़ा था। कहा था कि बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है।