Rupee vs Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार गिरता जा रहा है। शुक्रवार को रुपया और कमजोर होकर सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। मजबूत डॉलर की वजह से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की गिरावट के साथ रुपया 85.50 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। आइए अब समझने की कोशिश करते हैं कि रुपये में लगातार गिरावट क्यों आ रही है और इसका आम लोगों की जिंदगी पर क्या असर हो रहा है।
व्यापार के आंकड़ों पर गौर करें तो साफ तौर पर पता चलता है कि देश में इंपोर्टेड सामानों का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा उछाल सोने में देखने को मिला है। यह इस साल नवंबर के महीने में 50 फीसदी से बढ़कर 49.08 अरब डॉलर पहुंच गया है। भारत सरकार ने जैसे ही कस्टम ड्यूटी 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दी। तो आयात में काफी तेजी देखने को मिली है। रुपये में गिरावट के कारण इकोनॉमी पर भी काफी दवाब बढ़ रहा है।
बढ़ रही आरबीआई की चिंता
जैसे-जैसे रुपये में गिरावट आ रही है वैसे-वैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की टेंशन बढ़ सकती है। रुपये को और ज्यादा लुढ़कने से रोकने के लिए आरबीआई को पिछले कुछ महीनों के दौरान करेंसी मार्केट में बार-बार दखलअंदाजी करनी पड़ी है। इसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट देखने को मिली है। अब कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो 4 अक्टूबर से 6 दिसंबर 2024 के बीच, आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर से घटकर 654.857 अरब डॉलर ही रह गया।
डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में संतुलन का खेल
आप की जेब पर पड़ेगा असर?
अब बात करें कि आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर कैसे पड़ेगा तो रुपये में गिरावट का सीधा असर इंपोर्ट पर लगने वाली चीजों की लागत पर पड़ता है। इसमें उत्पाद पर लगनी वाली लागत के अलावा कच्चा माल भी शामिल होता है। उदाहरण के तौर पर 100 डॉलर कीमत वाले किसी उत्पाद के आयात के लिए अगर एक साल पहले 8300 रुपये देने पड़ते, तो अब 8,500 रुपये चुकाने पड़ेंगे। डॉलर महंगा होने का सीधा असर आयात होने वाले कच्चे तेल पर भी पड़ता है। अगर इसके कारण तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो परिवहन की लागत भी काफी बढ़ती है और बाकी चीजें महंगी होने के भी आसार होते हैं। रुपये में गिरावट होने का मतलब आपके घरेलू बजट पर सीधा असर पड़ना है। मुद्रा भंडार में लगातार आ रही कमी, लोगों के साथ सरकार के लिए खतरे की घंटी पढ़ें पूरी खबर…