शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ज्ञानी रघुबीर सिंह को अकाल तख्त का नया जत्थेदार नियुक्त किया है। SGPC द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार के पद से इस्तीफा दे दिया। उनके पास पिछले साढ़े चार सालों से यह दायित्व था। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भले ही अकाल तख्त के जत्थेदार पद से इस्तीफा दे दिया हो लेकिन वो तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार का पद संभालते रहेंगे।

SGPC की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद शुक्रवार को एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ज्ञानी रघुबीर सिंह को अकाल तख्त का नया जत्थेदार नियुक्त किया है। उन्होंने बताया कि रघुबीर सिंह वर्तमान में केसरगढ़ साहिब के जत्थेदार हैं। वह अकाल तख्त के नए जत्थेदार होंगे।

हरजिंदर सिंह धामी ने बताया कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अकाल तख्त की अतिरिक्त जिम्मेदारी से इस्तीफा दे दिया है। इतनी बड़े पद को छोड़ना आसान बात नहीं है लेकिन उन्होंने एक मिसाल पेश की है। हम इसके लिए उनका सम्मान करते हैं। वह तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार बने रहेंगे। हमने उनसे फोन पर बात की है।

क्या राघव चड्ढा की सगाई में शामिल होना बनी इस्तीफे की वजह?

ज्ञानी हरप्रीत सिंह आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की सगाई में शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि तभी से शिरोमणि अकाली दल नेतृत उनसे नाराज था। कहा जा रहा हा कि राघव चड्ढा की सगाई में शामिल होने के बाद विरोधी गुटों ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह को उनके पद से हटाने के प्रयास तेज कर दिए थे।

हालांकि सूत्रों का कहा है कि SGPC और ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बीच तनातनी होने की सिर्फ यही एक वजह नहीं है। शिरोमणि अकाली दल के बड़ी संख्या में नेता ज्ञानी हरप्रीत सिंह के इसलिए भी खिलाफ थे क्योंकि वे हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहे थे। बता दें कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह कार्यवाहक जत्थेदार बनने के बाद सिखों के एक महत्वपूर्ण वर्ग का विश्वास हासिल करने में कामयाब रहे।