Who is Jyoti Hemla: केंद्र सरकार की ओर से माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन के बीच छत्तीसगढ़ से एक ऐसी लड़की की कहानी सामने आई है जो सिर्फ 19 साल में ही एनकाउंटर में मारी गई। पिछले महीने जब पुलिस ने बीजापुर में 31 माओवादियों को मार गिराया तो उसमें यह लड़की भी शामिल थी। इस लड़की का नाम ज्योति हेमला था।

ज्योति हेमला के बारे में हैरान करने वाली बात यही है कि जो लड़की कुछ साल पहले तक छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी, वह जंगलों में कैसे पहुंच गई। वह कैसे माओवादियों के संपर्क में आई?

11 फरवरी को ज्योति हेमला के परिवार के लोग जिला अस्पताल में उसके शव को घर ले जाने के लिए आए। तब उसके चाचा फूट-फूट कर रो पड़े थे। उनका कहना था कि ज्योति बहुत ही अच्छी बच्ची थी और बीजापुर के पोर्टा केबिन में पढ़ती थी।

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क्या है पोर्टा केबिन?

छत्तीसगढ़ की सरकार ने साल 2010 में राज्य के ऐसे इलाके जो नक्सली हिंसा से प्रभावित हैं, वहां पर बच्चों की पढ़ाई के लिए पोर्टा केबिन स्कूल शुरू किए थे क्योंकि माओवादियों ने कई स्कूलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था। पोर्टा केबिन स्कूल आज भी चल रहे हैं जिनमें बीजापुर के 28 हजार बच्चे पढ़ते हैं।

माओवादियों की भर्ती का सेंटर है गंगालूर

The Indian Express ने ज्योति हेमला के बारे में ज्यादा जानने के लिए बीजापुर जिले के गांव सावनर का दौरा किया। सावनर गांव गंगालूर के इलाके में आता है और इसे माओवादियों की भर्ती, ट्रेनिंग और हाई लेवल मीटिंग का सेंटर माना जाता है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों में मारे गए कई माओवादी कार्यकर्ता गंगालूर से थे। पुलिस का कहना है कि पिछले 2 सालों में गंगालूर के कई माओवादियों ने आत्मसमर्पण भी किया है।

तीसरी क्लास में छोड़ दी थी पढ़ाई

ज्योति के चाचा बताते हैं कि उसका जन्म 2005 के मई या जून के महीने में हुआ था। उसकी शुरुआती पढ़ाई बीजापुर के पोर्टा केबिन के स्कूल में हुई लेकिन उसने तीसरी क्लास में ही पढ़ाई छोड़ दी ताकि वह अपने घर के कामों में माता-पिता की मदद कर सके। ज्योति की एक दोस्त ने बताया कि वह उससे आखिरी बार 2023 में मिली थी।

ज्योति के चाचा लक्ष्मण का कहना है कि पोर्टा केबिन स्कूल छोड़ने के कुछ साल बाद वह माओवादियों के संपर्क में आ गई थी और उनकी सांस्कृतिक शाखा Chaitya Natya Mandal (CNM) से काफी प्रभावित थी। पुलिस का कहना है कि सावनर में CNM का हिस्सा बनने से पहले वह माओवादियों की ओर से चलाए जाने वाले जनताना सरकार स्कूल में भी जाती थी।

उसके चाचा बताते हैं कि उन्होंने कई बार ज्योति से माओवादियों का साथ छोड़ने को कहा लेकिन उसने मना कर दिया।

पुलिस का कहना है कि माओवादियों के गुटों में बच्चों का भर्ती होना निश्चित रूप से चिंता का विषय है, विशेषकर बीजापुर के गांवों में। इस मामले में बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि गांव के लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है। माओवादी उन्हें इस बात के लिए मजबूर करते हैं कि वे अपने परिवार के कम से कम एक बच्चे को उनके संगठन में भेजें।

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