नाभा जेल से भागने वाले खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के चीफ हरमिंदर सिंह मिंटू को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। मिंंटू को सोमवार (28 नवंबर) को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया था। वह पांच अन्य कैदियों के साथ नाभा जेल से फरार हो गया। उसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने निजामुद्दीन स्टेशन से गिरफ्तार किया। जेल से फरार होने के बाद मिंटू ने बचने के लिए दाढ़ी और मुंछे कटवा ली थीं। वहीं नाभा जेल से बदमाशों को भगानेे की साजिश रचने वाले परमिंदर सिंह को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। मिंटू ने छह से सात महीने तक पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई से थाईलैंड में ट्रेनिंग ली थी। वह मूलत: जालंधर के दल्ली गांव का रहने वाला है। गांववालों का कहना है कि मिंटू आखिरी बार दल्ली साल 2004 में आया था। उसके परिवार का गोवा में व्यापार है। मिंटू का परिवार दो दशक पहले गांव छोड़ गया था। उनका अब गांव से कोई लेना देना नहीं है।
2008 में 24.5 किलो विस्फोटक सामग्री और 25 डेटोनेटर जब्त होने के मामले में वह आरोपी था। बताया जाता है कि इसके बाद वह थाईलैंड भाग गया था। थाईलैंड से वापस आने के दौरान ही मिंटू को साल 2014 में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। मिंटू पर कुल 12 मामले दर्ज हैं। इनमें डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर हमले का मामला भी शामिल है। दो मामलों में उसे जमानत मिल चुकी है वहीं एक अन्य मामले में पुलिस ने कोर्ट से उसे बरी करने को कहा है। उसके पास से मलेशिया का फेक पासपोर्ट और पहचान पत्र भी मिला था। वह कई बार यूरोप जा चुका है। बताया जाता है कि फंड के लिए उसने कई बार पाकिस्तान की यात्रा भी की। उस पर आरोप है कि आईएसआई ने पंजाब में 15 अगस्त को हमले के लिए उसे जिम्मा दिया था लेकिन पुलिस को इस बात की भनक लग गई थी।
मिंटू के वकील जसपाल सिंह मांझपुर ने कहा कि उनका मुवक्किल खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का चीफ अपने आप बन गया। वह उसमें कैडर की तरह था। लेकिन वह लंबे समय तक गिरफ्तार नहीं हुआ था तो मान लिया गया कि वह इसका चीफ है। उनका कहना है कि मिंटू को भागने की जरुरत थी ही नहीं वह तो वैसे ही रिहा हो जाएंगे। क्योंकि उनके मामलों में ज्यादा दम है नहीं। किसी भी मामले में मिंटू सीधे शामिल नहीं थे। आपको बता दें किे खालिस्तान लिबरेशन फोर्स(केएलएफ) का गठन 1986 में अरुर सिंह और सुखविंदर सिंह बाबर ने की थी। 1995 में केएलएफ को खालिस्तान आंदोलन के चार बड़े आतंकी संगठनों में शामिल किया गया था। इस संगठन पर पंजाब में कई आतंकी गतिविधियों का आरोप लगा है।