Aditya L1 Mission Update: आदित्य एल-1 में लगे कैमरे ने सेल्फी खीचीं है। इसरो ने गुरुवार को इसकी तस्वीरें शेयर की। सेल्फी में आदित्य एल-1 में लगे दो पेलोड्स VELC और SUIT को देखा जा सकता है। इसरो द्वारा जारी किए गए वीडियो में पृथ्वी और चांद को भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पिछले 6 दिनों में आदित्य एल-1 दो बार पृथ्वी की कक्षा में आगे बढ़ चुका है। इसके लिए आदित्य एल-1 में लगे थ्रस्ट को ऑन किया गया था। चार महीने की सफर करने के बाद आदित्य एल-1 अपने निर्धारित लक्ष्य पर पहुंचेगा।
अभी कहां है आदित्य एल-1?
आदित्य एल-1 को 2 सितंबर को PSLV-C57 रॉकेट की मदद से आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। लॉन्च होने के एक घंटे बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा में स्थापित कर दिया गया। अभी आदित्य एल-1 पृथ्वी की तीसरी कक्षा में घूम रहा है। आदित्य एल-1 करीब 16 दिनों तक पृथ्वी के ऑर्बिट में रहेगा। आदित्य एल-1 पांच बार थ्रस्ट फायर कर पृथ्वी के ऑर्बिट में रहेगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से निकलने के लिए आदित्य एल-1 में लगे थ्रस्ट को फायर किया जाएगा। थ्रस्ट की मदद से आदित्य एल-1 लैगरेंज प्वाइंट-1 तक पहुंचेगा। आदित्य एल-1 को लैगरेंज प्वाइंट-1 तक पहुंचने में चार महीने का समय लगेगा।
एल-1 प्वाइंट पर नहीं लगता ग्रहण
इसरो ने बताया कि एल-1 प्वाइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य पर बिना किसी रुकावट के लगातार नजर रख सकता है। सूरज और आदित्य एल-1 के बीच में कोई भी ऑब्जेक्ट मौजूद नहीं है इसी कारण एल-1 प्वाइंट पर कभी ग्रहण नहीं लगता। इसीलिए यह सूरज पर नजर रखने के लिए सबसे बेहतर जगह मानी जाती है। इससे बिना किसी रुकावट आदित्य एल-1 सूरज से निकलने वाली किरणों का लगातार अध्ययन कर पाएगा। इसरो के मुताबिक 6 जनवरी 2024 को आदित्य एल-1 लैगरेंज प्वाइंट-1 पर पहुंच जाएगा।
सूरज का अध्ययन क्यों है जरुरी?
सोलर सिस्टम में 8 ग्रह होते हैं जो सूरज का चक्कर लगाते हैं। सूरज के कारण ही पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य अपनी किरणों की मदद से धरती पर ऊर्जा भेजता है। सूर्य का अध्ययन कर हम सूरज की किरणों का पृथ्वी और अंतरिक्ष में क्या प्रभाव पड़ता है यह जान पाएंगे।