WhatsApp Safety: क्या आप सोच सकते हैं कि किसी शख्स से एक WhatsApp इमेज डाउनलोड करने को कहा गया। इमेज को डाउनलोड करने के कुछ मिनटों के अंदर ही उनके खाते से 2.01 लाख रुपये निकल चुके थे।

आज के दौर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म WhatsApp हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का बेहद अहम हिस्सा बन चुका है। इसका इस्तेमाल एक-दूसरे को जरूरी या हंसी-मजाक के मैसेज भेजने के लिए किया जाता है लेकिन अब अपराधी इसके जरिए लोगों के बैंक खातों से रकम भी उड़ाने लगे हैं।

WhatsApp पर होने वाली तमाम तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए बहुत सावधानी रखने और अलर्ट रहने की जरूरत है।

क्या है यह पूरा मामला?

28 साल के प्रदीप जैन नाम के शख्स को एक दिन सुबह किसी अनजान नंबर से फोन कॉल आया। थोड़ी देर बाद इस नंबर से उन्हें एक WhatsApp मैसेज मिला। इस मैसेज में एक बुजुर्ग शख्स की फोटो थी और पूछा गया था “क्या आप इस व्यक्ति को जानते हैं?”। शुरू में प्रदीप जैन ने इसे इग्नोर किया लेकिन जब कई बार उन्हें फोन किया गया तो उन्होंने दोपहर 1:35 पर इमेज को डाउनलोड कर लिया।

बस उनसे यहीं पर बड़ी भूल हो गई। इमेज डाउनलोड करने के चंद मिनटों के भीतर ही हैकर्स ने उनके बैंक अकाउंट से 2.01 लाख रुपए साफ कर दिए। जांच में पता चला कि यह रकम हैदराबाद के एक एटीएम से निकाली गई। हैकर्स इस कदर शातिर थे कि जब केनरा बैंक ने इस ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करने के लिए प्रदीप जैन को फोन कॉल किया तो उन्होंने जैन की आवाज को कॉपी करके बैंक से बात कर ली।

Least Significant Bit (LSB) steganography का इस्तेमाल

इस तरह के स्कैम में Least Significant Bit (LSB) steganography का इस्तेमाल होता है। इस तकनीक के जरिए किसी इमेज या ऑडियो जैसी मीडिया फाइल को मोडिफाई करके इनके अंदर डाटा छुपा दिया जाता है।

BJP को घेरने के लिए ‘संविधान बचाओ रैली’ का आयोजन करेगी कांग्रेस, जानें कार्यक्रम का शेड्यूल

क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट?

इस मामले में साइबर एक्सपर्ट और TOFEE (The Organisation For Enlightenment and Education) के सह-संस्थापक तुषार शर्मा ने The Indian Express को बताया, “यह कोई नई बात नहीं है। 2017 में हैकर्स ने WhatsApp पर शेयर की जाने वाली GIF फाइलों के अंदर एक कोड को एम्बेड कर दिया था। ऐसी फाइल के डाउनलोड होने पर यह छिपा हुआ कोड बैकग्राउंड में चलता रहता है और सिक्योरिटी सेटिंग्स को बाईपास करता हुआ यूजर के डाटा तक पहुंच जाता है।”

तुषार शर्मा ने बताया कि हालांकि इस इश्यू को ठीक कर दिया गया था लेकिन 2019 में यह तकनीक और नए ढंग से सामने आई है।

साइबर एक्सपर्ट नीहर पठारे बताते हैं कि steganography AI से बनी इमेज की पहचान करने वाले टूल को भी धोखा दे सकती है इस तरह की फाइलों के लिए आमतौर पर .jpg, .png, .mp3, .mp4, PDFs फॉर्मेट का इस्तेमाल होता है।

तुषार शर्मा ने कहा, “अधिकतर इमेज रंग के लिए डाटा के तीन बाइट्स का इस्तेमाल करती हैं। लाल, हरा और नीला। मैलवेयर इनमें से एक या चौथी बाइट में छिपा होता है, जिसे अल्फा चैनल कहा जाता है। जब आप ऐसी कोई इमेज छवि खोलते हैं, तो मैलवेयर चुपके से आपके फोन में इंस्टॉल हो जाता है और आपके सेंसेटिव डाटा तक एक्सेस हासिल कर लेता है।”

क्या होता है वक्फ का मतलब? पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में बोर्ड की जमीन

क्या सावधानी रखें?

तुषार शर्मा ने इससे बचने के लिए कुछ जरूरी बातें बताई हैं। जैसे- अनजान लोगों को नजरअंदाज करें, अपने फोन को अपडेट रखें और ऑटो डाउनलोड को डिसेबल कर दें। मतलब WhatsApp सेटिंग्स में बदलाव कर गैर ज़रूरी मीडिया फाइल को अपने फोन में सेव होने से रोकें। OTP कभी भी शेयर ना करें।

WhatsApp ग्रुप की परमिशन को ‘My Contacts’ पर सेट करें ताकि किसी गलत ग्रुप में शामिल होने से बचा जा सके। WhatsApp पर ‘Silence Unknown Callers’ फीचर को एक्टिव करें जिससे स्पैम और स्कैम कॉल्स को कम किया जा सके।

WhatsApp के प्रवक्ता ने क्या बताया?

WhatsApp के प्रवक्ता ने The Indian Express को बताया कि स्कैमर लगातार अपने काम करने का तरीका बदलते रहते हैं, इसलिए अलर्ट रहना जरूरी है। उन्होंने कहा, “अगर कोई अनजान व्यक्ति आपको मैसेज करता है या ग्रुप में जोड़ता है, तो आपको एक context card दिखेगा जिसमें उस यूजर या ग्रुप के बारे में और ज्यादा जानकारी होगी।”

WhatsApp के प्रवक्ता ने सलाह दी कि संदिग्ध अकाउंट्स को ब्लॉक और रिपोर्ट करें और अनजान नंबरों से आई इमेज, वीडियो डाउनलोड ना करें या लिंक पर क्लिक न करें।” प्रवक्ता ने बताया कि WhatsApp ऑनलाइन स्कैम से यूजर्स को बचाने के लिए तकनीक, सेफ्टी टूल में निवेश करता है।

यह भी पढ़ें- हजारों लोग बेरोजगार! साल 2025 में टेक कंपनियों ने 23000 से ज्यादा लोगों को नौकरियों से क्यों निकाला?