इस संसद सत्र में बीजेपी के दो सांसदों – सुब्रमण्यम स्वामी और वरुण गांधी – ने जो सवाल पूछा, वो अंतत: सूचीबद्ध नहीं किया गया। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल का सवाल, जिसका जवाब दो दिसंबर को दिया जाना निर्धारित था, सूची से हटा दिया गया। प्रश्न किसान आंदोलन के मद्देनजर प्रवासी भारतीयों को एयरपोर्ट पर तंग करने और वापस भेजने के संदर्भ में था।
बीजेपी सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी कहा कि उनके द्वारा उठाए गए प्रश्न को अस्वीकृत कर दिया गया। उन्होंने ट्वीट किया,”यह दुर्भाग्य पूर्ण नहीं तो हास्यास्पद जरूर है कि मुझे राज्यसभा सचिवालय ने सूचित किया कि मेरे द्वारा चीनी सेना के LAC पार करने के प्रश्न को राष्ट्रीय हित में अस्वीकृत कर दिया गया है।
प्रश्नों को कैसे स्वीकार किया जाता है?
सांसदों को दोनों सदनों में मंत्रालयों और विभागों से तारांकित, अतारांकित, अल्प अवधि और गैर सरकारी सदस्यों से प्रश्न के माध्यम से सूचना प्राप्त करने का अधिकार है। सांसदों के प्रश्नों की एक लंबी सूची तैयार होती है जिसे निकासी के लिए एक कठिन और जटिल प्रक्रिया से गुजरना होता है। राज्यसभा में प्रश्नों की स्वीकृति ‘राज्यों की परिषद की प्रक्रिया और आचरण के नियम 47-50’ से निर्धारित होती है।
एक बार स्वीकृत होने पर सचिवालय इसे संबंधित मंत्रालय या विभाग को भेजता है। मंत्रालय से तथ्यों की प्राप्ति होने के बाद इन प्रश्नों की स्वीकृति के लिए एक बार पुनः जांच की जाती है। फिर इस सूची को मंत्रीगणों को प्रेषित किया जाता है जिसके आधार पर वे अपना जवाब देते हैं। लोक सभा में प्रश्नों के लिए नोटिस प्राप्त होने के बाद बैलट से वरीयता निर्धारित की जाती है। तारांकित, अतारांकित, अल्प अवधि और गैर सरकारी सदस्यों के प्रश्नों को सॉफ्टवेयर में अलग अलग दर्ज किया जाता है। फिर प्रश्नों की स्वीकार्यता की जांच लोक सभा की प्रक्रिया और आचरण के नियम 41-44′ के आधार पर की जाती है।
जवाब देने के लिए मंत्रालयों और विभागों को पांच समूहों(I-V) में विभाजित किया गया है और उन्हें क्रमानुसार सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार अलॉट किया गया है। समूह इस तरह तैयार किए गए हैं कि हर समूह के लिए एक निश्चित दिन लोक सभा और एक निश्चित दिन राज्य सभा के प्रश्नों का जवाब देने के लिए हो।
-क्या होते हैं तारांकित,अतारांकित,अल्प अवधि और अन्य वर्गों के प्रश्न?
तारांकित प्रश्न – ये वे प्रश्न हैं जिनका जवाब मंत्रीगणों को मौखिक रूप से देना होता है। इसे तारांकित कर के सांसदों द्वारा अलग कर दिया जाता है। इसके बाद सदस्य पूरक प्रश्न भी पूछ सकते हैं।
अतारंकित प्रश्न – ये वे प्रश्न हैं जिनका जवाब मंत्रीगणों को लिखित रूप से देना होता है। इसे तारांकित नहीं किया जाता है। इसके बाद सदस्य पूरक प्रश्न नहीं पूछ सकते हैं।
अल्प अवधि प्रश्न – ये जनहित के अति आवश्यक मुद्दों पर पूछे गए प्रश्न होते हैं। इनका मौखिक जवाब मंत्रीगणों से मांगा जाता है। न्यूनतम दस दिन से कम की नोटिस पे पूछे गए प्रश्न अल्प अवधि प्रश्न होते हैं।
गैर सरकारी सदस्यों से प्रश्न – लोक सभा के नियम 40 और राज्य सभा के नियम 48 के अनुसार गैर सरकारी सदस्यों से भी प्रश्न पूछा जा सकता है यदि प्रश्न किसी बिल, नियम या ऐसे मामले से संबंधित हो जिससे सांसद का ताल्लुक हो।
कब पूछे जाते हैं प्रश्न?
संसद के प्रत्येक सदन का पहला घंटा प्रश्न काल होता है जिसमें प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्नों की अधिकतम संख्या 175 निर्धारित है। जिसमें 15 अल्प अवधि प्रश्न होते हैं,और वो प्रश्न जो एक सूची से दूसरे में लिखित जवाब के लिए भेजे जाते हैं, और 15 प्रश्न ऐसे राज्यों से संबंधित होते हैं जिसमें राष्ट्रपति शासन लागू होता है।
किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं?
प्रश्नों की स्वीकृति लोक सभा में नियम 41-44 और राज्य सभा में 47-50 से निर्धारित होती है। प्रश्नों की स्वीकृति या अस्वीकृति लोक सभा स्पीकर या राज्य सभा चेयरमैन निर्धारित करते हैं। राज्य सभा में प्रश्नों को एक विशिष्ट मामले से ही होना चाहिए, किसी नाम या कथन को बीच में नहीं लाया जाना चाहिए और यदि ऐसा किया गया है तो उसकी तथ्यपरकता के लिए सांसद स्वयं जिम्मेदार होंगे।
प्रश्न में किसी भी प्रकार की विवादपूर्ण, अपमानजनक ,या तंज कसने वाली भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए। लोक सभा में ऐसा कोई भी सवाल जो पहले पूछा जा चुका हो या न्यायालय या संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन हो नहीं पूछा जा सकता है।
कितनी बार प्रश्नों को अस्वीकृत किया गया है?
मानसून सत्र में राज्य सभा में 833 प्रश्नों को अस्वीकृत किया गया है। तुलना के लिए 2013-14 के शीत सत्र में 748 प्रश्नों को अस्वीकृत किया गया। अस्वीकृति के पश्चात इसके खिलाफ अपील करना बेहद मुश्किल होता है।
इस साल के मानसून सत्र में –
सरकार ने एक प्रश्न को अस्वीकृत कर दिया जो कि इजरायल के साइबर सुरक्षा फर्म एनएसओ ग्रुप से सरकार के समझौते के विषय में था जिसने पेगासस का उपयोग भारत में काफी सारे फोन को हैक करने के लिए किया था। सरकार ने कहा कि ये मामला पीआईएल के तहत न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। राज्य सभा से सीपीआई सांसद बिनॉय विस्वम द्वारा पूछे गए अनंतिम रूप से स्वीकृत प्रश्न को सरकार ने राज्य सभा नियम 47(xix) का हवाला देते हुए सचिवालय से अस्वीकृत करा दिया क्योंकि ‘ये भारत के किसी एक न्यायालय में विचाराधीन है)।
विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में तृणमूल से सांसद शांता छेत्री द्वारा भारत के लोकतांत्रिक सूचकांक में स्थान से संबंधित प्रश्न को संवेदनशील होने का हवाला देकर अस्वीकृत करा दिया। पूर्व लोकसभा जनरल सेक्रेटरी पीडीटी आचार्य का कहना है,’पहले बहुत कम प्रश्न अस्वीकृत किए जाते थे। लेकिन अब ये काफी मौकों पर होने लगा है। न्यायालय के अधीन होने या राष्ट्रहित का हवाला देकर प्रश्नों को अस्वीकृत कर दिया जाता है। हम अक्सर प्रश्नों को स्वीकृत कर देते थे, और बहुत जरूरी मुद्दा होने पर ही सरकार का निवेदन राज्य सभा या लोक सभा में आता था’।
उन्होंने ये भी कहा कि संबंधित अधिकारियों को ये जानकारी देनी चाहिए कि प्रश्नों को क्यों अस्वीकृत किया गया है। संसद विशेषाधिकार के कारण सूचना के अधिकार या न्यायालय में ऐसे मामले को ले जाना बहुत मुश्किल होता है। अतः एक बार अस्वीकृत हो जाने पर इसके खिलाफ जाना बहुत मुश्किल होता है।