पिछले कुछ हफ्तों में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर रिश्तों में तल्खी बढ़ी है। पिछले महीने इसी विवाद और तनातनी की वजह से चीनी सैनिकों ने भारतीय श्रद्धालुओं को नाथु ला दर्रे के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए जाने नहीं दिया। नतीजतन भारतीय श्रद्धालुओं को वापस आना पड़ा। इसके अलावा चीनी सैनिकों ने भारत के दो बंकर भी तबाह कर दिए थे। इस दौरान भारतीय और चीनी सेना आमने-सामने आ गई थी। हालांकि, अभी भी वहां स्थिति सामान्य नहीं हुई है। मंगलवार को ही चीन ने विवाद पर समझौते की संभावनाओं को दरकिनार करते हुए धमकी भरे लहजे में कहा था कि सैन्य विकल्प भारत की नीति पर नर्भर करेगा। गेंद को भारत के पाले में डालते हुए चीन ने कहा था कि भारत को ही सीमा विवाद का हल निकालना है।

विवाद की जड़ क्या है?

बता दें कि भारत-चीन के बीच कुल 3500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की वजह से 1962 में युद्ध हो चुका है। बावजूद इसके सीमा विवाद नहीं सुलझ सका। यही वजह है कि अलग-अलग हिस्सों में अक्सर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद उठता रहा है। मौजूदा सीमा विवाद भारत-भूटान और चीन सीमा के मिलान बिन्दु से जुड़ा हुआ है। सिक्किम में भारतीय सीमा से सटे डोकलाम पठार है, जहां चीन सड़क निर्माण कराने पर आमादा है। भारतीय सैनिकों ने पिछले दिनों चीन की इस कोशिश का विरोध किया था। डोकलाम पठार का कुछ हिस्सा भूटान में भी पड़ता है। भूटान ने भी चीन की इस कोशिश का विरोध किया। भूटान में यह पठार डोक ला कहलाता है, जबकि चीन में डोकलांग। भूटान और चीन के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है। भूटान को अक्सर ऐसे मामलों में भारतीय सैन्य और राजनयिक सहयोग मिलता रहा है। लिहाजा, भारतीय सेना ने इस बार भी चीनी सैनिकों के सड़क निर्माण की कोशिशों का विरोध किया है। चीन को यह बात नागवार गुजरी है।

डोकलाम पठार सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण है। अगर चीन यहां तक सड़क बनाने में कारगर रहता है तो वह भारत के पूर्वोत्तर हिस्से तक आसानी से अपनी पहुंच बना सकता है।

भारत क्यों कर रहा विरोध?

डोकलाम पठार को लेकर भूटान और चीन में लंबे समय से विवाद चल रहा है। भारत इस मुद्दे पर भूटान का समर्थन करता रहा है और डोकलाम पर भूटान के दावे का समर्थन करता रहा है। दरअसल, डोकलाम पठार सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण है। अगर चीन यहां तक सड़क बनाने में कारगर रहता है तो वह भारत के पूर्वोत्तर हिस्से तक आसानी से अपनी पहुंच बना सकता है। भारत के लिए सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण उस 20 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर तक पहुंच बना सकता है, जिसे भारतीय सेना की भाषा में ‘चिकेन नेक’ कहा जाता है, और इसके जरिए भारतीय मैदानी इलाकों खासकर पूर्वोत्तर के सातों राज्यों में प्रवेश किया जा सकता है। यही वजह है कि भारतीय सेना ने चीन के सड़क निर्णाण की कोशिशों का जबर्दस्त विरोध किया है। इसके जवाब में चीनी सैनिकों ने लालटेन आउटपोस्ट पर भारत के दो बंकरों को निशाना भी बनाया। हालांकि, भारत की ओर से कोई जवाबी हमला नहीं किया गया, बल्कि उसकी जगह ह्यूमन वॉल बनाई गई।

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सिक्किम स्थित चीन सीमा जहां चीनी सैनिकों ने घुसपैठ करते हुए दो भारतीय बंकर नष्ट कर दिए।

चीन का भारत पर अतिक्रमण करने का आरोप

पिछले हफ्ते, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि डोकलाम क्षेत्र में चीन द्वारा सड़क निर्माण भारत के लिए गंभीर असुरक्षा और इलाके में बहाल यथास्थिति के पूर्ववर्ती फैसले को ध्वस्त करेगा। इस बीच, चीन लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि भारतीय सैनिक चीनी क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहे हैं। इसके पक्ष में चीन की दलील है कि वह क्षेत्र चीनी संप्रभुता के अंदर है और हम सड़क बनाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन भारत उसे ऐसा करने से रोक रहा है। इसके साथ ही चीन ने साल 1962 के युद्ध में भारत की हार का जिक्र करते हुए कहा है कि अब चीन 1962 की तुलना में ज्यादा ताकतवर हो चुका है।

भारतीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भी चीनी आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि भारत की स्थिति भी 1962 की नहीं रही। हम 2017 के दौर में अपनी संप्रभुता और सीमा की रक्षा करने में सक्षम हैं।

भारत और चीन में कौन सबसे ज्यादा ताकतवर: